कविता

कविता

बढ़े चलो बढ़े चलो

विहंग दिव्य दृष्टि से,
उमंगों की वृष्टि से।
लक्ष्य को तुम साध लो,
विपत्तियों को बांध लो।
नित नए आरोह पर,
बढ़े चलो बढ़े चलो।

उमंग से भरे रहो,
घमंड से परे रहो।
चांदी सा चमक उठो,
गुलाब सा महक उठो।
नित अपनी मंजिल को,
बढ़े चलो बढ़े चलो।

ओज हो प्रकाश हो,
सबको तुमसे आस हो।
चांद सा शीतल बनो,
मृगेंद्र सा सबल बनो।
उन्नति के श्रृंग पर,
बढ़े चलो बढ़े चलो।
?अनुराग कुमार
खुटहा बाजार, महाराजगंज (उ०प्र०)
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अनुराग कुमार

नाम- अनुराग कुमार (नवोदित कवि) सदस्य- भारतीय साहित्य उत्थान समिति विधा- श्रृंगार, ओज आदि। पद- राजस्व लेखपाल शिक्षा- बी०एस-सी० (गणित) जमतिथि-19/09/1994 पिता का नाम- श्री रामदास साहित्यिक उपलब्धि- कई समाचार पत्रों व साहित्यिक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। संगम नवांकुर सम्मान, युवा साहित्य सम्मान, मानव जागरूकता सम्मान, मुंशी प्रेमचंद स्मृति सम्मान। पता- ग्राम-सिसवा, पोस्ट-खुटहा बाजार, जिला- महाराजगंज पिन- 273303 उत्तर प्रदेश मो०न०-8004292135 Email: [email protected]