जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक लीला बहन जी ।
जयविजय का ऐसा कौन सा पाठक या लेखक होगा जो लीला बहन जी के नाम से परिचित ना हो । आज उन्हीं लीला बहन जी का जन्मदिन है । बहन जी किसी परिचय की मुहताज नहीं, उन्होंने जयविजय नवभारत में ब्लोग्स का रेकॉर्ड बनाया है । हर किसी परिचित, कोई जानी मानी हस्ती का जन्मदिन हो या कोई तीज त्यौहार बहन जी का ब्लॉग पत्रिका की शोभा बढ़ाता है । चलिए आज हम उन्हें जयविजय पर उनके जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई देते है ।
ख़ुशी से बीते हर दिन हर सुहानी रात हो
जिस तरफ आपके कदम पड़ें
वहां फूलों की बरसात हो
हो पूरी दिल की हर ख्वाहिश
और मिले खुशियों का जहां आपको
जब कभी आप मांगें आसमान का इक तारा
तो भगवान् दे दे सारा आसमान आपको
खुदा से यही दुआ करते हैं
कि आपकी ज़िन्दगी में कोई गम ना हो
जन्मदिन पर मिलें जहां कि खुशियां
भले उसमें शामिल हम ना हों
खुदा हर नजर से बचाये आपको
चाँद सितारों से ज्यादा सजाये आपको
गम क्या है कभी पता न चले
खुदा ज़िन्दगी में इतना हंसाये आपको
जन्मदिन की बहुत बहुत मुबारक हो
प्रिय ब्लॉगर रविंदर भाई जी, आपकी अनमोल दुआएं, बधाइयां और शुभकामनाएं हमने स्वीकार कीं. इतना नायाब प्रयास करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया. आपने अपना ब्लॉग पर भी बहुत सुंदर उपहार हमें दिया है. एक बार पुन्ह धन्यवाद के साथ अत्यंत सटीक व सार्थक रचना के लिए आपका हार्दिक आभार.
आदरणीय लील बहन जी,
आपने ब्लॉग पढ़ा उसे सराहा इसके लिए आपका बहुत आभारी हूँ । आपके
प्रोत्साहन के फलस्वरूप लिख सकने लायक बना हूँ । अपना ब्लॉग पर अधिक
इसलिए नहीं लिख सका क्योंकि रचना अस्वीकार होने का अंदेशा था ।
I came into your class Have learned and grown,
But, what has touched me most, Is the love you have shown
आदरणीय रविंदर भाई जी ! आपने सही कहा ,लीला बहनजी को कौन नहीं जानता । वो परिचय की मोहताज नहीं हैं । उनकी सकारात्मकता ,जीवटता ,व स्नेहमय स्वभाव के सभी कायल हैं । आदरणीय बहनजी को आपके ब्लॉग के माध्यम से हमारी भी शुभकामनाएं । आपने बड़े दिल से व अरमान से उनके लिए यह लेख लिखा ,मुझे पूर्ण विश्वास है कि उन्हें आपका यह प्रयास ,यह उपहार बहुत पसंद आएगा । धन्यवाद ।
प्रिय राजकुमार भाई साहब जी,
आपकी प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद । लिखते लिखते सीख रहा हूँ ।
एक बार बहन जी ने सलाह दी थी की कुछ कविता वगैरह भी लिख दिया करो ।
उस समय तो चौंक गया था, कविता और मैं ? धीरे धीरे इसी में मजा आने
लगा । कुछ तुकबंदियाँ टूटी फूटी लिखने लगा ।