लघुकथा

लघुकथा : समाधान

सुबह रमा देर से उठी, आधी रात के बाद तो आँख लगी थी ! रात अपनी बारहवीं में पढने वाली बेटी को फोन पर किसी लड़के से बात करते सुना था तभी से मन चिंताओं से घिर गया था !
उठते ही फिर समाधान खोजने बैठ गयी डांटने से तो बेटी विद्रोही हो गलत कदम उठा सकती है ! यादों में कॉलोनी में रहने वाली समता की बेटी का चेहरा ताज़ा हो आया ,जो माँ के डांटने पर साड़ी का फंदा बना कर फांसी पर झूल गयी थी !मातापिता रो रोकर हलकान हो रहे थे और कॉलोनी वाले किस्से गढ़ रहे थे !  कोर्ट कचहरी के चक्कर में माँ ने बिस्तर पकड़ लिया और पिता मानसिक संतुलन खो बैठा !
आज रमा को पति की कमी बहुत खल रही थी ,वो आज होते
तो कुछ डर होता उनका,डर  नहीं भी होता तो हम पति पत्नी कोई हल निकालते ! अब घर संभालू ,नौकरी बचाये रखूं कम थी क्या परेशानी जो अब यह भी ? पर इस नाज़ुक विषय में किसी से सलाह माँगना यानी उन्हें चटपटे मसालेदार चर्चा का विषय देना, नहीं मुझे ही कुछ करना होगा ! मिली स्कूल से आयी तो उसे नाश्ता देकर प्यार से पास बिठाया,कुछ देर इधर उधर की बातों के बाद सहसा पूछ बैठी,
“मिली,तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है क्या ?”मिली एकदम से अचकचा कर बोली,”न न माँ, ऐसा क्यों पूछ रही हो ?”जनवरी के महीने में भी उसके माथे पर पसीने की बूंदे छलक आयी!
“अरे,कुछ दिन पहले तुमने ही बताया था कि कॉलेज में जिसका बॉय फ्रेंड नहीं होता सब लड़कियां उसका मज़ाक बनाती हैं ,सो मैंने सोचा बना लिया होगा !”कह रमा मुस्कुरा दी !
मिली कुछ गंभीर सोच में डूब गयी तो रमा पुनः बोली,”बेटी यह दुनियां बहुत ज़ालिम और मक्कार है ! तुम्हारी उम्र भी कम है,बला की सुंदरता और पिता का ना होना, कोई भी तुम्हारे भोलेपन का फायदा उठा सकता है ! देखो बेटा शादी मैं तुम्हारी ही पसंद से करुँगी लेकिन तब जब तुम आत्मनिर्भर हो जाओगी,जिस खुदा ना खास्ता कोई तुम्हे धोखा दे,तुम्हारी मासूमियत का फायदा उठा तुमसे किनारा कर ले तो तुम आर्थिक रूप से सबल रहो !”
मिली माँ की बात सुनती दोनों हाथों की उँगलियाँ चटकाने लगी,तो उसने टोका,”अरे मिली बुरी बात ! अब जरा मेरे लिए अदरक वाली कड़क चाय तो बना दे,सर दर्द से फटा जा रहा है !”रमा को पता है कि मिली तनाव में होने पर ही यह अजीब हरकत करती है !
रात मिली के कमरे में दूध देने जाते वक़्त देखा वो फिर फोन पर लगी किसी को समझा रही थी,”देखो अगले महीने बोर्ड के इम्तेहान हैं उसके बाद कम्पीटिशन ! मुझे सी ए बनने से पहले जरा भी फुर्सत नहीं है ! हम फोन पर बात करेंगे पर मिलेंगे तो कुछ बनने के बाद !”
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“नहीं माने नहीं ! अगर उस से पहले मिलना चाहते हो तो तुम भी कुछ बन के माँ से रिश्ता मांगने आओ !”कह कर फोन रख दिया मिली ने.
पूर्णिमा शर्मा 

पूर्णिमा शर्मा

नाम--पूर्णिमा शर्मा पिता का नाम--श्री राजीव लोचन शर्मा माता का नाम-- श्रीमती राजकुमारी शर्मा शिक्षा--एम ए (हिंदी ),एम एड जन्म--3 अक्टूबर 1952 पता- बी-150,जिगर कॉलोनी,मुरादाबाद (यू पी ) मेल आई डी-- Jun 12 कविता और कहानी लिखने का शौक बचपन से रहा ! कोलेज मैगजीन में प्रकाशित होने के अलावा एक साझा लघुकथा संग्रह अभी इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है ,"मुट्ठी भर अक्षर " नाम से !

One thought on “लघुकथा : समाधान

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    युवा बच्चों को समझाने का सही ढंग है ,लघु कथा बहुत अछि लगी .

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