गीतिका : नारी की व्यथा
तू लाख कोशिश कर मुझे सताने की
मैँ नही बनूंगी चीज अब तेरे सजाने की
हुई खता जो इश्क़ कर बैठी मैं तुझसे
क्यों की कोशिश मैंने तुझे आजमाने की
न अब आफताब होगा न सितारों की चाहत
न होगी अब जरूरत चिरागों को जलाने की
होगी न शिकायत मुझे तुझसे ऐ हमनशीं
तेरा मेरा इश्क़, हुई बात अब गुजरे जमाने की
है इल्तजा ये मेरी मुझे भी भूल जाना तुम
न करना अब कोशिश इस रुठे को मनाने की
— एकता सारडा