गीतिका : बदले से पल छिन हैं
रची बसी साँसों में हिंदी , हर दिल की धड़कन है !
हिन्द देश के हम रहवासी , हिंदी जीवन धन है !!
हिन्दी घुट्टी में मिलती है , साथ चले अंग्रेजी !
हिन्दी अंगीकार करें तो , शिक्षण ज्यों चन्दन है !!
हम पिछड़े थे हुये अग्रणी , हिन्दी की माया है !
हिन्दी भाषी चढ़े शिखर अब , आया परिवर्तन है !!
सबने दिल से अपनाया है , अवलम्बन ना छूटा !
अंग्रेजी अब बनी सहायक , बदले से पल छिन हैं !!
बड़ी जरूरत हमें अभी हैं , विशेषज्ञ हम चाहें !
भाषा का जादू छायेगा , आने वाले दिन हैं !!
— बृज व्यास