लघुकथा – छोटकु का व्यंग्य
लोफ़र-लौंडे मिज़ाज का ‘छोटकु’ आज भी हर-रोज़ की तरह फेसबुक पर न्यूजफीड पढ़ रहा था, तभी मोबाइल में एक साउंड बजा।उसे एक नोटिफिकेशन आया था,किसी अखवार वाले ने उसका फ्रेंड-रिक्वेस्ट स्वीकार लिया था।
कौतूहलवश वह अखवार वाले की प्रोफाइल देखने लगा।पंडित किसिम के उस आदमी के ढ़ेरों मनोरंजक, हँसने-हँसाने वाली तस्वीर देखकर उसे बहुत मज़ा आ रहा था।जॉर्नलिस्ट सीधा-साधा समझ में आ रहा था, और शायद इसलिए हास्यास्पद भी।
इसी बीच उसकी नज़र जॉर्नलिस्ट की प्रोफाइल पिक्चर पर अटक गई।एक सुंदर महिला की सुछबी लगा रखी थी।तस्वीर में मुस्कुराती महिला को देख ‘छोटकु’ मने-मन खुश हो रहा था।
सोच रहा था कि ‘ईह जॉर्नलिस्टवा तो ससुरा कारी-कोरकट है पर मेहर की खूबसूरती तो देखो ‘। इसी मज़ाक को अपने लोफ़र दोस्तों को भी स्क्रीनशॉट लेकर भेजा। बहुत मजेदार रहा आज का फेसबुक संचालन।हँसी एक बार फिर उसके गले में आते-आते अटक गया, जब उसकी आँख कैप्शन पर पड़ी।
लिखा था, ‘ तुम हममें ज़िंदा हो मेरी बहन, भगवान तेरी आत्मा को शांति दें।’
आँखों से लोर टप-टप स्क्रीन पर गिरने लगी।
— आदर्श सिंह