ग़ज़ल : बहका नंदन वन है
रूप कटीला , नयन नशीले , बांकी सी चितवन है !!
तेरे बिन सूना है सब कुछ , यहां बसे मधुवन है !!
रंग बिरंगी चोली चूनर , रंग भरे हैं सपने !
रंग बिरंगी आशाओं संग , उजला उजला मन है!!
हैं पराग सी मुदित शोखियाँ , काया बनी हिरनिया !
रुखसारों की देखी रंगत , बहका नन्दनवन है !!
बड़े पेंच ज़ुल्फों में जानो , दिल भी झूल रहा है !
मदिर मदिर मुस्कानों में बस , हम तो हुऐ मगन हैं !!
आभूषण झूमे चूमे है , इतराते हैं तुझ पर !
खुशियों के सत्कार में डूबे , सबके अंतर्मन हैं !!
हंसी लहलहाई ऐसी है , खेतों में हलचल है !
हाथ नहीं कुछ लगा हमारे , जानो ऐक ठगन है !!
तुमने रचा है एसा मेला , लगती भटकन भारी !
हम तो ऐसे यहां रमे हैं , पगली लगे थकन है !!
- बृज व्यास