कविता

राष्ट्र भाषा हिंदी

हिंदी भाषा भारतवर्ष में ,सदा पाई है मात्रु सम मान
यही हमारी अस्मिता है, और यही है हमारी पहचान
हिन्दी भाषा कितनी सुन्दर, और कितनी है आसान
हिन्द देश की हिन्दी संस्कृति, है पूरे विश्व में महान
हिन्दी राष्ट्र की अस्मिता है, हिन्दी है वतन की आन
हिन्दी सरस, सुधारस, है, जैसे अशक्त तन में प्रान
हिन्दी सूत, सखी, श्याम-सी, होता इसका वरदान
चीर-भारती,चक्षु सूर, एकता की है अखण्ड कमान
हिंदी को कबीरा ने अपनाया, दिया मीराबाई ने मान
आज़ादी के शहीदों ने, दिया इस हिन्दी को सम्मान
हिन्दी चरित्र है भारत का, नैतिकता की है परिभाषा
हिन्दी सबका स्वाभिमान, यही सबकी है अभिलाषा
अंग्रेज़ी सभी के पास थी , ‘राज’ के पास थी हिंदी
जिस किसी के पास जो थी, उसने उसी में लिख दी
” जय हिंद – जय हिंदी “
राज मालपाणी

राज मालपाणी ’राज’

नाम : राज मालपाणी जन्म : २५ / ०५ / १९७३ वृत्ति : व्यवसाय (टेक्स्टायल) मूल निवास : जोधपुर (राजस्थान) वर्तमान निवास : मालपाणी हाउस जैलाल स्ट्रीट,५-१-७३,शोरापुर-५८५२२४ यादगिरी ज़िल्हा ( कर्नाटक ) रूचि : पढ़ना, लिखना, गाने सुनना ईमेल : [email protected] मोबाइल : 8792 143 143