कविता

हिन्दी दिन-ब-दिन बढ़ रही 

हिन्दी दिन-ब- दिन बढ़ रही
चिंता की कोई बात नहीं

कोटि कोटि जनों की भाषा
कोटि कोटि दिलों की भाषा
हिन्दी को हक देना होगा
कहना और लिखना होगा

किसी गैर देशीय भाषा में
खुल पाते हैं ज़ज्बात नहीं

गाँधी से लेकर मोदी तक
ख़ुसरो , मीरा , निराला तक
हिन्दी लोक हृदय में रही है
मानस से मधुशाला तक

हिन्दी मुस्लिम सिख ईसाई
हिन्दी की कोई जात नहीं

उर्दू, मराठी ,तमिल गुजराती
कहो क्या है समावेश नहीं ?
हिन्दी तो गंगा जैसी है
किसी से द्वेष -क्लेश नहीं

महफ़िल , रैली सबमें यह
बिन इसके कोई बारात नहीं

इस पुण्य-धरा की गर्भनाल से
जुड़ी है हिन्दी बेटी सी
संस्कारों की बगिया है यह
महक इसमें संस्कृति की

हिन्दी सेवा ही राष्ट्र -वंदना
इससे उँची सौगात नहीं

गौतम कुमार सागर

गौतम कुमार सागर

सीनियर मैनेजर (बैंक ऑफ बड़ौदा ) लेखन कार्य :- विगत बीस वर्षों से हिन्दी साहित्य में लेखन. दो एकल काव्य संग्रह प्रकाशित . तीन साझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित . विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित . अखिल भारतीय स्तर पर " निबंध , कहानी एवं आलेख लेखन " में पुरस्कृत. संपर्क :- 102 , अक्षर पैराडाईज़् नारायणवाडी रेस्तूरेंट के बगल में अटलादरा वडोदरा (गुजरात) मो. 7574820085