गीतिका/ग़ज़ल

इक कहानी लिखूं

सोचती हूँ इक कहानी लिखूं
तेरी और मेरी जुबानी लिखूं

लिखूं हाल ऐ दिल अपना
या सपनों की रवानी लिखूं

अरमानों की लिखूं ग़ज़ल, यां
आँखों का बहता पानी लिखूं

बनाऊ नए फ़साने फिर से, या
कहानी फिर वही पुरानी लिखूं

सजाऊ तेरे सपनो का काजल
या अपनी चुनर धानी लिखूं

गुनगुनाऊँ इश्क़ का कलाम , या
खुद को तुझसे अनजानी लिखूं।

*प्रिया वच्छानी

नाम - प्रिया वच्छानी पता - उल्हासनगर , मुंबई सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने E mail - [email protected]