कविता

जिस्म के सौदागर

तुम देखते हो
एक औरत में
आंखों की लंबाई
होठों की चिकनाई
स्तनों का आकार 
नितंबों की मोटाई
तुम निहायती
जिस्म के सौदागर हो !
तुम चूक कर देते हो !
एक औरत के दिल में देखने में
प्रेम और ममता की
अथाह गहराई
आंखों में लाज का काजल
होठों पर रहनुमाई
दूध से भरे स्तन पर
नवशिशु के चुंबन की सच्चाई
तुम बडी भूल कर देते हो !
औरत को खिलौना समझने की
और खरीदकर खेलने की
तुम इस लोक पर
राक्षस से कमत्तर तो कथ्य नहीं हो !

देवेन्द्रराज सुथार

देवेन्द्रराज सुथार , अध्ययन -कला संकाय में द्वितीय वर्ष, रचनाएं - विभिन्न हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पता - गांधी चौक, आतमणावास, बागरा, जिला-जालोर, राजस्थान। पिन कोड - 343025 मोबाईल नंबर - 8101777196 ईमेल - [email protected]

2 thoughts on “जिस्म के सौदागर

  • राजकुमार कांदु

    वाह ! बहुत सुंदर भाव !

    • देवेन्द्रराज सुथार

      आभार !

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