कन्या भ्रूण हत्या
गर्भ में बेटी पले मार दी जाती है
अजन्मी बेटी दुनिया देख नही पाती है
सभी कहते है कुल का दीपक बेटे को
ये बेटिया भी किसी वंश को बढ़ाती है
अक्सर भेदभाव करते लोग बेटी बेटे में
बेटी दिये के संग जलती हुई बाती है
बेटी बिन घर का आँगन सुना-सुना लगे
कलाई सुनी बेटे की नजर आती है
बेटे की चाह में बेटी को मार देते हो क्यूँ
न मारो बेटी गर्भ में चीख चिल्लाती है
संगदिल हुए पापा माँ चुप हो गई
परिवार के खिलाफ जाना माँ नही चाहती है
बेटी नही चाहते क्यूँ पिता और घर में सभी
भ्रूण हत्या हेतु माँ गर्भपात कराती है
मिटा के भेदभाव अपना लो बेटी को
मान जाओ पापा बेटी पुकार लगाती है
जिसकी बेटी नही उस माँ से पूछो जरा
अहमियत बेटी की वही माँ बताती है
जन्मे बेटा या बेटी कुलदीप दोनों ही ”नन्हा”
प्रकाश करे बेटा रौशनी बेटी फैलाती है।
— शिवेश अग्रवाल ”नन्हाकवि”