कविता

क्यों उठे है हाथ अबकी दुःशासनो के पक्ष मे…..

काशी हिंदू विश्वविद्यालय(BHU) में इन दिनों जो हुआ, बेहद निन्दनीय व शर्मनाक….

क्या यही अब नीति होगी
देश और इस काल की
वह धरा साक्षी बनेगी
जहाँ भक्ति होती महाकाल की

है बेटियाँ यदि मान तो
क्यों हुआ यह अपमान है
सिसकियाँ अनसुनी रही
आखिर ये कौन सा सम्मान है

चलाना चाहिए घन
जिन पापियों के वक्ष पे
क्यों उठे है हाथ
अबकी दुःशासनो के पक्ष मे

है प्रश्न गहरा यक्ष का
क्यों युधिष्ठिर मौन है
या है पक्षपात धृतराष्ट्र का
देख कौरवों को मौन है

क्यों द्रौपदी पर ही केन्द्रित
बाजी जीत और हार की
चीरहरण, यदि विजयी कौरव
हारे तो फिर से बाजी मान की

ओ! नीति के निर्धारकों,
ओ! कौरवों के प्रतिपालको
क्यों कर रहे हो गुमराह
एक और सत्य को….

©-रामेश्वर मिश्र(8115707312)

रामेश्वर मिश्र

रामेश्वर मिश्र अभोली, सुरियावां भदोही, उत्तर प्रदेश मो-8115707312 9554566159 Email-- [email protected]

One thought on “क्यों उठे है हाथ अबकी दुःशासनो के पक्ष मे…..

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा गीत !

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