भगवती वंदन
धरा आज फिर मुस्कुराने लगी
कदम भगवती घर बढ़ाने लगी !
चहल औ पहल हो रही हर तरफ
खुशी चेहरों पर खिलाने लगी !
दयावान है इस जगत की ये माँ
कृपा आज सब पर दिखाने लगी !
रखे शीश पर हाथ अपना सदा
सभी दर्द मन के मिटाने लगी !
हुआ ये जगत जिससे’ रोशन सदा
वही जोत भीतर समाने लगी !
— डाॅ सोनिया गुप्ता
बहुत खूब !