राजनीति

विकृत मानसिकता और कांग्रेस के नेता

भारतीय संस्कृति से साक्षात्कार करने वाला व्यक्ति कभी अपशब्द नहीं बोल सकता, जो अपशब्द बोलता है, वह भारतीय संस्कृति का संवाहक हो ही नहीं सकता। भारतीय संस्कृति में वसुधैव कुटुम्बकम् का भाव समाहित है। इस कारण कहा जासकता है कि भारत विश्व के लिए कल्याण का भाव रखता है, लेकिन हमारे देश के कांग्रेसी नेता शायद आज तक भारतीय संस्कृति का मतलब नहीं समझ पाए हैं। हो सकता है कि इसके पीछे कांग्रेस का कोई पुराना इतिहास हो। क्योंकि आज कांग्रेस को 132 साल पुराना बताया जाता है, इस कारण कहा जा सकता है कि कांग्रेस दो सठिया पार कर चुकी है। एक बार साठ साल पूरा करने वाले लोग दिमागी रुप से कमजोर हो जाते हैं, कांग्रेस तो ऐसी दो अवस्थाओं को पार कर चुकी है। इसीलिए ही कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने लोकतांत्रिक पद्धति से देश के प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र मोदी के प्रति दुराभाव का प्रदर्शन किया। मनीष तिवारी के कथन का आशय यह भी निकाला जा सकता है कि वह वर्तमान में भारतीय संस्कारों से बहुत दूर जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस के बारे में यह सबसे बड़ा सत्य है कि यह पार्टी अंग्रेजों ने बनाई। अंगे्रज अधिकारी एओ ह्यूम कांगे्रस के संस्थापक रहे। कांग्रेस आज किस मार्ग पर कदम बढ़ा रही है, यह किसी से छिपा नहीं है। इसके बाद भी कांग्रेस के नेता अपनी पार्टी की समीक्षा करते हुए दिखाई नहीं दे रहे।
हम जानते हैं कि 17 सितम्बर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म दिन था। पूरा देश की जनता उन्हें बधाई दे रही थी। सामाजिक प्रचार तंत्र के माध्यम से भी प्रधानमंत्री को बधाइयां मिल रही थीं। देशभर में उनके जन्मदिन पर किसी न किसी प्रकार के आयोजन किए जा रहे थे। कोई उनके द्वारा चलाये गए स्वच्छता अभियान को लेकर सड़कों पर झाड़ू लेकर सफाई में जुटा हुआ था तो कोई संगोष्ठियों के माध्यम से उनके द्वारा पिछले तीन साल में किए गए कामों का उल्लेख कर नई पीढ़ी को जागृत कर रहा था, लेकिन ऐसे में कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने ऐसा ट्विट किया कि पूरे देश को शर्मिंदगी उठानी पड़ी। कांग्रेस नेता ने इस प्रकार का ट्विट क्यों किया होगा, यह तो कांगे्रस ही बता सकती है, लेकिन इससे यह सवाल जरुर आता है कि क्या कांग्रेस के नेता मानसिक दिवालिया पन की ओर बढ़ रहे हैं। मनीष तिवारी के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर इस ट्विट को लेकर देशवासियों का गुस्सा फूट पड़ा। इस ट्विट में जो कुछ लिखा गया है, उसका यहां उल्लेख करने में भी शर्म आती है। या यह कहें कि उसे लिखा ही नहीं जा सकता है। यहां तक कि विद्युतीय प्रचार तंत्रों ने भी पूरी मर्यादा का पालन करते हुए ही मनीष तिवारी की टिप्पणी दिखाई। सवाल यह है कि जब प्रचार तंत्रों ने इसे छिपाकर दिखाया, तब यह बात तो पक्की है कि वह शब्द दिखाने लायक नहीं थे। किसी के जन्मदिन पर यदि हम बधाई नहीं दे सकते हैं तो कम से उसके लिए गंदे शब्दों का इस्तेमाल तो नहीं करना चाहिए।  मनीष तिवारी ने वैसा ही कहा, जो उनसे पहले कांग्रेस के ही एक और बड़बोले नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था। जब देशवासियों ने इसका कड़ा विरोध किया तो दोनों ने ही माफी मांग ली, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या किसी का अपमान कर बाद में माफी मांग लेना उचित है। क्या माफी किसी अपराधी को निरपराध की श्रेणी में ला सकती है? हां, यह हो सकता है कि अनजाने में हुई गलती की माफी मांगी जा सकती है और उसे माफ भी किया जा सकता है, लेकिन सब कुछ समझते हुए गलती करना मूर्खता ही है। मनीष तिवारी ने भी यही मूर्खता की है। ट्विटर पर उन्होंने स्वयं अपने हाथों से अश्लील भाषा का प्रयोग किया है। वास्तव में कांग्रेस के नेताओं को गाली जैसे शब्दों का प्रयोग करना है तो नरेन्द्र मोदी को क्यों, देश की जनता को गाली देना चाहिए, क्योंकि देश की जनता ने नेरन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के पद पर आसीन किया है।
वास्तव में मनीष तिवारी ने जो कुछ कहा है, वह देश की जनता के जनादेश का घोर अपमान है। क्योंकि लोकतांत्रिक पद्धति से विचार करें तो भारत में जनता की सरकार है और जनता ही उसको नियंत्रित करती है। वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनता के मुखिया हैं, इसलिए यह गाली सीधे तौर पर जनता को दी गई गाली है। लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित होकर आई नरेन्द्र मोदी की सरकार के प्रति कांग्रेसी नेताओं का दुश्मनी वाला रवैया किसी भी प्रकार से सही नहीं माना जा सकता। क्योंकि अब मादी की सरकार हम सबकी सरकार है, फिर चाहे कोई भी राजनीतिक दल ही क्यों न हो। केन्द्र सरकार सबकी है, पूरे भारत की है, अकेले भारतीय जनता पार्टी की नहीं। लेकिन हमारे देश के कांगे्रसी नेता केवल अपनी सरकार को अपना मानते हैं, दूसरे दल की सरकार को दुश्मन मानकर व्यवहार करते हैं। क्या इसी को लोकतंत्र कहते हैं? शायद नहीं। वैसे आज कांग्रेस में लोकतंत्र बचा ही कहां हैं। वहां तो केवल एक परिवार का ही सब कुछ है। पूरी पार्टी ही केवल एक परिवार के सहारे चल रही है।
कांग्रेस का आज जो हश्र है वह शायद मनीष तिवारी व दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं के कारण ही है। कांग्रेस अब गिने चुने राज्यों में ही रह गई है। भविष्य क्या होगा, इसे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के आए दिन आने वाले बयानों से आसानी से लगाया जा सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को इस बात का अहसास हो भी चुका है कि अब कांग्रेस डूबता हुआ है, क्योंकि पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश इस बात को खुलेआम स्वीकार कर चुके हैं कि कांग्रेस में अब अनुभवी नेताओं की कोई कद्र नहीं है। दरअसल केंद्र में जब से नरेंद्र मोदी की सरकार बनी है तब से विपक्ष मोदी की बढ़ती लोकप्रियता को पचा नहीं पा रहा है। हालांकि हर मामले में विपक्ष को मुंह की ही खानी पड़ी है। विपक्ष ने मोदी के खिलाफ तमाम हथकंडे अपनाए, लेकिन उनका स्तर ऊंचा ही उठता गया। आज वे न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी सबके प्रिय हैं।

— सुरेश हिन्दुस्थानी

सुरेश हिन्दुस्तानी

वरिष्ठ स्तंभकार और राजनीतिक विश्लेषक 102 शुभदीप अपार्टमेंट, कमानीपुल के पास लक्ष्मीगंज, लश्कर ग्वालियर मध्यप्रदेश पिन-474001 मोबाइल-9425101815, 9770015780

One thought on “विकृत मानसिकता और कांग्रेस के नेता

  • रविन्दर सूदन

    प्रिय सुरेश जी,
    यह जो आपने विकृत मानसिकता की बात की इसमें सिर्फ कांग्रेस ही क्यों क्यों नहीं सभी पार्टियां ? आप विकृत मानसिकता की बात करते करते अपने प्रिय दाधीच की बात भूल ही गए और उस भूल के बाद माननीय प्रधान मंत्री जी का उसे फॉलो करना ? इस परंपरा की शुरुआत किसने की ?

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