ग़ज़ल
तुम्हारे प्यार के खातिर हमने दुनियाँ को छोड़ा।
किसी की बात न समझे किसी से मुँह नहीं मोड़ा।।
फ़क़त तुमसे शिकायत थी तुम्हारा सर नहीं फोड़ा।
मुहब्बत में तुम्हारे साथ ये दिल मैंने ही जोड़ा।।
वादे कितने ही करते मगर वादा नहीं तोड़ा।
जिधर भी तुम चले जाते उधर भी साथ न छोड़ा।।
कभी भी समझ तुम न पाए दिलों की बात को थोड़ा।
“पुरोहित” साथ दे किसको सभी ने हाथ को छोड़ा।।
— कवि राजेश पुरोहित