“गजल”
अरकान-फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फाइलुन, वज़्न-2122 2122 2122 212, काफ़िया – क्या (आ का स्वर), रदीफ़-रह जाएगा…….. ॐ जय माँ शारदे…..!
1-
मौन जब इस शोर को दमखम दिखा के जाएगा
देख लेना उस समय फिर काफिला रह जाएगा
आप के रहमो करम पर रुक नही सकता दीवाना
बोलने का शौक किसको साहिबा रह जाएगा।।
भूलकर जज्बात को मत रोकना चिग्घाड़कर
गर मुड़ा अपनी जगह फिर आइना रह जाएगा।।
करकसी आवाज है तकते अपने महल आना
शेष क्या मिलता भला निज खंडरा रह जाएगा।।
क्यों बना डाला ऊँचाई पर मकाँ पूछा किससे
राह में रोड़ा बहुत चढ़ हाँफता रह जाएगा।।
शेर सी दाहाड हो तो मोह लेती जाने मन
सुन यहाँ बस मेमने का चीखना रह जाएगा।।
मान जा “गौतम” गरजता है नहीं बस बरसता
हो सके तो जा यहाँ से मापता रह जाएगा।।
2-, अरकान-फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फाइलुन, वज़्न-2122 2122 2122 212, काफ़िया – अर, रदीफ़-रह जाएगा
देख तेरे ही शहर में फिर जिगर रह जाएगा
आज तो ये जा रहा है पर कहर रह जाएगा
फिर न कहना हो गई बरबाद तेरी जिन्दगी
लौटना किसका हुआ है बस लहर रह जाएगा।।
आज हो जिस मोड़ पर पहुँचा जमाना देखना
पूछ लेना इस शहर से क्या शहर रह जाएगा।।
जब किनारे बैठते थे साथ में फुरसत लहरी
पेड़ की छाया वहीं नैना नगर रह जाएगा।।
जिन किताबों में रखे खिलते हमने गुलाब को
ऊन दराजों को कभी तकना पहर रह जाएगा।।
हो सके तो साफ कर लेना गिलाओं की पलक
कागजों पर रंग का चढ़ना उभर रह जाएगा।।
“गौतम” सनम आप से धनवान बनकर खुश हुआ
बाग तो है बागवा का खिल खबर रह जाएगा।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी