ग़ज़ल
चलो आज एक दुजे पर थोड़ी थोड़ी सी इनायत कर लेते हैं
तुम हम से हम तुम से कुछ शब के लिए बगावत कर लेते हैं
बहुत करली है एक दुजे से हमने अब शरारत भरी नोंक झोंक
तुम खुद से और हम अपने आप से ही शरारत कर लेते हैं
मज़ा नहीं आ रहा है हम दोनो की इस नादान सी लढाई में
तुम झुठी बेरुखी करों और हम सच्ची चाहत कर लेते हैं
जिंदगी ना तेरी कट सकती हैं ना हमारी कटेगी तुम्हारे बिना
तुम मुझे लत बनालो हम तुम्हे अपनी एक आदत कर लेते हैं
जमाना करना चाहे हमारी मोहब्बत में कुछ सियासत अपनी
कहना उनसे तुम सियासत करो हम मोहब्बत कर लेते हैं
— आकाश राठोड