जिंदगी
कभी हंसती , कभी रोती ,
कभी तू मुस्कुराती है
कभी खुलकर तू गाती है ,
कभी तू गुनगुनाती है
तू जैसी भी है सुन ऐ जिंदगी
हरदम लुभाती है ।।
कभी गम के हैं साये तो ,
कभी रंगीनियां भी हैं
कभी तू त्याग करती है ,
जुबां भी लपलपाती है
तू जैसी भी है सुन ऐ जिंदगी ,
हरदम लुभाती है ।।
कभी डरती डराती है ,
कभी तू हड़बड़ाती है
कभी चलती संभल कर तू ,
कभी तू गड़बड़ाती है
तू जैसी भी है सुन ऐ जिंदगी ,
हरदम लुभाती है ।।
घिरे हों गम के अंधेरे ,
या खुशियों के उजाले हों
न हो मायूस एक पल भी ,
जो सब उसके हवाले हों
तू उम्मीदें जगाती है ,
तू दिल को हर्षा जाती है
तू जैसी भी है सुन ऐ जिंदगी ,
हरदम लुभाती है ।।
तू हर पल , हर घड़ी हमको ,
सबक कुछ दे के जाती है
समय एक सा नहीं रहता ,
यही सबको बताती है
तू क्या कहती औ क्या करती ,
नहीं दुनिया समझती है
तू जैसी भी है सुन ऐ जिंदगी ,
हरदम लुभाती है ।।
आदरणीय बहनजी ! कैसा लगता है जब किसी भी तरह लाख मुसीबतें उठाकर भी अभावों से दो दो हाथ करते हुए लोग जिंदा रहने के जतन करते हैं तब जिंदगी की अहमियत समझ में आती है । चाहे खुशी हो या गम ,अमीर हों या गरीब सबकी जीने की ललक बराबर ही होती है बावजूद इसके कि सबकी परिस्थितियां भिन्न भिन्न होती हैं । जिंदगी हमें हर दम हर वक्त लुभाती है । बेहद सुंदर प्रतिक्रिया द्वारा उत्साहवर्धन के लिए आपका धन्यवाद ।
दीपावली की आपको भी मुबारकबाद ! धन्यवाद ।
प्रिय ब्लॉगर राजकुमार भाई जी, सबसे पहले आपको व आपके समस्त परिजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं. सचमुच कभी खुशी, कभी ग़म वाली जिंदगी अपने हर रूप में हमें लुभाती है. इतनी सुंदर रचना लिखने के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन. समाज को जागरुकता का संदेश देने वाली, सटीक व सार्थक रचना के लिए आपका हार्दिक आभार.