क्षणिका दिवाली आकाश राठोड़ 18/10/201719/10/2017 इस दिवाली जलाना तो मिट्टी के दिये जलाना शायद किसी गरीब की झोपड़ी में अंधेरा ना रहे — आकाश राठोड