ब्लॉग/परिचर्चालेख

हम अपनी बर्बादी के जिम्मेदार स्वयं हैं !

कुछ लोग इस लेख को गलत लेगे लेकिन उनसे अनुरोध है कि अगर हिंदुओ को बचाना है तो उनके दुआरा की जा रही संगीन गल्तियों को भूलना नहीं चाहिये ! क्या आप जानते हैं हिंदूओ कि दुर्दशा का कारण दूसरे नहीं बल्कि वो खुद हैं !

मुगलों ने इस देश पर राज किया क्युं ? क्युकिं एकता नहीं थी राज़ाओ के बीच ! अगर होती तो चाहे मुगल हो या अन्ग्रेज कुछ नहीं कर सकते थे ! आइये जानते हैं केसे ?

1= आप किसी ईसाई से पुछे कि वो कौन है? जबाब मिलेगा- ईसाई या कृश्चियन ! आप किसी जैन से पूछे कि कौन है वो जबाब होगा जैन ऐसे ही किसी मुस्लिम से पूछ लीजिये ! लोग अपने गोत्र या उपजाती नहीं बताते, बल्कि अपनी पहचान बताते हैं ! जबकि आप किसी हिंदू से पूछ कर देखिये कि वो कौन है ?

सीना चौडा करके जबाब देगे, हम राजपूत, हम गुरज़र, हम ब्राह्मण, हम बनिया लेकिन एक नहीं बोलेगा कि मै हिंदू हुं !” क्यों ?

2= कुछ दिन पहले की ही बात है जब मैने फेसबुक पर मुस्लिम समुदाय को रमज़ान की मुबारकवाद दी !’ अब तो हद ही कर दी कुछ हिंदू भाई लोगों ने मुझे सेकुलर बोला ! फिर ‘मन की बात ‘ कार्यक्रम में जब मोदी जी ने विश्वभर के मुस्लिम को रमज़ान की बधाई दी तो मेने बहस करने वालों को जबाब दिया कि पीएम को भी सेकुलर बोल लो ! तो आधे मेरी बात का समर्थन करने लगे ! ऐसे महान दोगले लोगों को मेरा नमन !

लेकिन कुछ लोगों ने मुझे गालियां दी, रमज़ान की बधाई देने पर जिनकी गालियो को मैने उन्हीं को कोपी पेस्ट करके उन्हीं को भेज दी ! गलत किया क्या मैने ? जैसी करनी वैसी भरनी, आप यकीं नहीं मानेगे सबसे ज्यादा गालियां हिन्दू ही देते हैं, खुद से पूछिए ! आपके आस पास, दूर मत जाइये आपके घर में ही होंगे ऐसे लोग जो बात बात पर माँ बहिन करने को तैयार, और जब खुद को पड़ती हैं तब पता चलता है कि कैसा लगता है !

3= सबसे ज्यादा अंधविश्वासी , पीके फिल्म का एक सीन याद है जहाँ कॉलेज के बाहर पान से पतथर रंग दिया जाता है फिर शुरू होता है अंधविश्वास ! यही नहीं मंदिरों मे जाकर 2 किलो दूध भगवान को चढाने के बहाने नाली मे बहा आयेगे लेकिन उसी मंदिर के बाहर बैठे गरीब भिखारी को 1 गिलास दूध नहीं देगे ! जबकि खुद ही उस जाति-धर्म से ताल्लुक रखते होगें ! मंदिर के अंदर हज़ारो का दान दे देगे, लेकिन मंदिर के बाहर बैठे हिंदू ही भिखारियों को कुछ नहीं देगे !

4= भिखारियो की बात करे तो हर जगह चाहे गुरूदुआरा हो, मस्जिद हो, जैन मंदिर हो आदि हर जगह भिखारी मिलेगे, 95% जो अपने सनातन धर्म से ताल्लुक रखते हैं ! लेकिन कभी किसी दूसरे धर्म के लोगों को गिड़गिड़ाते पाया, कभी किसी सिख समुदाय के व्यक्ति को भीख मांगते देखा है कभी ! जानते हैं क्यों ? क्युकी वही भीख मांगते हैं जो मेहनत से बचते हैं !

5= कई हिंदू बोलते हैं कि जैन धर्म हिंदू धर्म का ही हिस्सा है ! ठीक है अब आप एक सच्ची घटना सुनिये – क्या है उदाहरण अपने देने से बात सही तरीके से और सच्ची लिखी जाती है, तो मेरा एक लेख ” किसी ग्रंथ पर आधारित नहीं है- जैन धर्म ” दिल्ली से प्रकाशित हुआ था, इस पर भी बहस हुई जानते हैं क्युं और किसने की ?

अन्य कोई जाति धर्म के लोग सामने नहीं आये सिवाय एक के समझ ही गये होगे जिन्हे ये परेशानी थी कि हिंदू देवी देवता पर क्युं नहीं लिखा ? जबकि खुद ही चिल्ला रहे थे कि जैन हिन्दू होते हैं और जबकि लेख मे कहीं भी किसी धर्म की बुराई नहीं लिखी थी, ना ही किसी धर्म के बारे मे कुछ ! तब भी, क्युं है ऐसा ? अन्य जाति-धर्म का व्यक्ति क्यों नहीं बोला क्युकी उसके धर्म को लेकर कुछ लिखा ही नहीं था, जो था जैन धर्म पर था !

लोगों को ये जानकारी ही नहीं कि जैन धर्म और हिन्दू धर्म अलग हैं – न्यायालयों के निर्णय….. ये निर्णय कानूनन लिए गए हैं, न कि मैंने लिए हैं =

– 1927– मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा air 1927 मद्रास 228 मुकदमें के निर्णय में ” जैन धर्म को स्वतंत्र, प्राचीन ब ईसा से हजारो वर्ष पूर्व का माना ।”

– 1939 — बम्बई उच्च न्यायालय ने Air1939 बम्बई 377 मुकदमें के निर्णय में कहा कि ” जैन धर्म वेदों को स्वीकार नही करता हैं, श्राद्धों को नही मानता है ब अनुसंधान बताते हैं कि भारत में जैन धर्म ब्राह्राण धर्म से पहले था।”

बम्बई सरकार ने 19 अगस्त, 1948 को अपनी अधिसूचना में इस तथ्य को स्वीकार किया कि “यद्दपि जैनों पर हिन्दू लॉ लागू है परंतु जैनों को हिन्दुओ के रूप में बर्णित नही किया जा सकता” ।

– 1951– बम्बई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एम.सी. छगला और न्यायमूर्ति गजेन्द्र गड़कर ने याचिका CWJC 91/1951 पर यह निर्णय दिया कि “हरिजनों को जैनों के मंदिरों में प्रवेश करने का कोई अधिकार नहीं है क्योकि बे हिन्दू मंदिर नही है, यह विदित है कि जैन हिंदुओं से भिन्न मतावलंबी हैं ”

– 1954 — उच्चतम न्यायालय ने AIR 1954 SC 282 के निर्णय में माना कि ” भारत में जैनधर्म व बौद्ध अपनी पहचान रखते हैं व वैदिक धर्म से भिन्न हैं । ”

– 1958 — उच्चतम न्यायालय ने केरल शिक्षा बिल मामले में कहा कि ” जैन समाज अल्पसंख्यकता प्राप्त करने के लिए उपयुक्त है।”

– 1963– उच्चतम न्यायालय ने 649 ( V50 C101) निर्णय में कहा था की हिन्दू मुस्लिम ईसाई व जैनों में ब्राह्राण, बनिया ब कायस्थ समुदाय के अलावा सभी समुदायों को सामाजिक व शैक्षिक रूप से पिछड़े माना गया है।

– 1968 — कलकत्ता उच्च न्यायालय ने AIR 1968 कलकता 74 के निर्णय में कहा कि ” जैन हिन्दू नही हैं केवल उनके फैसले हिन्दू लॉ के अनुसार किये जाते हैं ।

– 1968– उच्चतम न्यायालय ने 74 (VSSC14) के निर्णय में ” जैनों को हिन्दू नही माना।”

– 1975– उच्चतम न्यायालय ने AIR 1975 CW96 के निर्णय में “जैनों को दिल्ली में अपने शिक्षण संस्थानों का प्रबंधन करने का निर्णय दिया था।

– 1976 — दिल्ली उच्च न्यायालय ने AIR 1976 दिल्ली 207 के निर्णय में कहा था ” संबिधान का अनुच्छेद 25 जैनों को स्वतन्त्र रूप से मानता है जो की सर्वोच्च नियम है” ।

– 1993– उच्चतम न्यायालय ने बाबरी मस्जिद मुकदमें के निर्णय में (1993,AIR 317) “जैनधर्म को अन्य अल्पसंख्यक धर्म की तरह हिन्दू धर्म से भिन्न माना था” ।

– 1995 — उच्चतम न्यायालय ने AIR 1975, SC 2089 के निर्णय में माना था की —” भारत में बौद्ध व जैन धर्म जाने पहचाने धर्म हैं जो ईश्वर के होने में विश्वास नहीं रखते।”

– 2003 — उच्चतम न्यायालय ने AIR 2003 SC 724 में कहा कि ” राष्ट्रीय गान में जैनों को प्रथक रूप से दिखाया गया है।”

– 2006 — भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री एस.बी. सिन्हा और श्री दलवीर भण्डारी जी की खंडपीठ ने अपने एक फैसले में कहा कि ” यह अविवादित तथ्य है कि जैनधर्म हिन्दुधर्म का हिस्सा नही हैं।” ( दैनिक हिन्दुतान , नई दिल्ली 24.08.2006 )

6= कोन्ग्रेसी, दलित, ब्राह्मण, गौ रक्षक दल, हिंदू सेना, भीम सेना, गुरज़र संगठन आदि और बाकी सेना के लोग सभी हिंदू है ! जो आपस में ही लडकर खुद की दुर्दशा कर रहे हैं ! क्युंकि कोई अपने आप को सिर्फ हिंदू नहीं बोलना चाहता ! कई दलित खासतौर पर सेना वाले अपने आपको बौद्ध कहते हैं!

7= कुछ समय बाद हिंदू शब्द गायब हो जायेगा जानते हैं क्युं ? कोई बचेगा ही नहीं हिंदू बोलने वाला, लोग जाने जायेगे ये गुर्जर समाज है, ये राजपूत समाज, ये भीम सेना वाले आदि !

8= हम अपने गिरेवान मे नहीं झांकना चाहते जानते हैं क्युं ? क्युकिं जानते हैं गलत निकलेगे, मैं कहती हुं जरुरत क्या है दूसरो को सुनाने कि खुद तो सुधर जाओ पहले लेकिन नहीं ! हम दूसरो की शिनाक्त जरुर करेगे, भले हम अंदर से खोखले क्युं ना होते जाये !

9= गाय का खयाल सभी को है, होना भी चाहिये लेकिन घर की गाय हमारी माताये उनका खयाल नहीं है लोगों को !

” छाती पीट-पीट कर रो रहे हैं वो भी, जो अपने घर में मां की इज़ज़त तक नहीं करते !”

अपनी मां को वही इज़ज़त दो जो गाय को दे रहे ! वर्ना आज इतने व्रद्धाश्रम नहीं खुल्ते ! दोनों की रक्षा जरुरी है दोनों ही जरुरत हैं !  लेकिन समझाना बेकार है कुछ लोगों को, इनकी सोच देश को दीमक की  तरह खा जायेगी ! हम हम का गुरूर ले डूबगा इन्हें !

10= दूसरे जाति धर्म को उलूल जुलूल बकने वाले, जब आरक्षण की बात आती है तब सारी एकता खत्म हो जाती है ! तब तुम ब्राह्मण हम दलित !

हम भीमसेना तुम मनुवादी ! यही चीज़े दूसरे की नजरो मे गिराती है ! सब जानते हैं दूसरों को सुनाने के लिए कितने ही एक हो जाओ लेकिन बंटे हुए हो सभी !

11= खुद ही देश की बरबादी के जिम्मेदार हैं, उदाहरण के लिये हरियाना का जाट आंदोलन देखलो, जन-धन की कितनी हानि हुई ! ये लोग खुद को भारतीय बोलते हैं, काम आतांकवादियो से कम नहीं किये ! उसके बाद राम रहीम काण्ड ! शांति आंदोलन कर लेते तो नाक नीचे हो जाती इनकी !

12= सोच बनाके रखी है कि हम अपने देश को दीमक की तरह खाये तो कोई बात नहीं लेकिन दूसरे नहीं कर सकते ऐसा !

13= हिंदू राष्ट्र बनाना है भारत को, लेकिन ये भूल जाते हैं कि देश की उन्नति मे हर जाति धर्म का बराबर का सहयोग है ! भारत लोकतांत्रिक देश है जहाँ हर जाति -धर्म को बराबरी से जीने का अधिकार है ! मुस्लिम भी इसी देश का हिस्सा हैं, जो हर समय उन्हें गालिया देते रहते हो ! एक बात पर गौर भी करना मुस्लिम कभी किसी समुदाय के लिए कुछ नहीं बोलते जब तक उनपर ऊँगली न उठी हो , आस पास रहते होंगे आपके, मिले उलूल -जुलूल बकने वाले ! हामिद अंसारी और कुछ मुस्लिम नेताओ को छोड़कर , जिनका का काम ही है फूट डालकर खुद की कुर्सी बचाना !

14- जो हर समय रोना रोते हैं कि मुस्लिम ऐसे वेसे तो उनको अभी तुरंत ही घर की टीवी फोड देनी चाहिये क्युकि चाहे फ़िल्म हो या सीरियल या न्यूज हर जगह हर समुदाय के लोग हैं !

15= हमे ये बात नहीं भूलनी चाहिये कि हमारे  देश की ऐतिहासिक इमारते मुग्लो की बनाई हुई हैं, जहा मुस्लिम से जायदा हिंदू घूमने जाते हैं ! सारे नेता भी मोदी जी हो या योगी जी ! मैं भी !

और सेक्युलर की बात नहीं की तो लेख पूरा ही नहीं होगा , आधों को सेक्युलर का मतलब नहीं पता लेकिन नफरत चरम सीमा पर , वाह ! जानते भी हो सेक्युलर कौन होते हैं जो देश को जोड़ने की बात करते हैं न की धर्म जाति  के नाम पर तोड़ने की , यानी धर्म – निरपेक्ष ! जो खुद को सेक्युलर नहीं मानते उनके लिए –

बाहर हैं तो अभी सीधा घर जाइये

घर जाकर टी.वी. में आग लगाइये

सभी जाति -धर्म के लोग दिखाई देगें

फिल्म – सीरियल पर नजर दौड़ाइये

बच्चों को उस स्कूल में डालिये

जहां आपकी जाति के शिक्षक होने चाहिये

सामान हर दुकान से मत खरीदिये

दुकान भी आपकी जाति धर्म की होनी चाहिए

किस धर्म के आदमी ने बनाया है ये सामान ?

अपनी जाति के दुकानदार से पुछवाईये

आप सेकुलर नहीं जो किसी के भी हाथ का खालें

इसलिए कुछ दिन हो सके तो भूंखे ही सो जाइये

कपडा – लत्ता और मकान बनवाना हो यदि

अपनी जाति के सभी कारीगर ढूंढ लाइये

माँ बाप बीमार हो तो किसी के भी यहाँ मत जाइये

अपनी जाति का डॉक्टर ढूंढ इलाज़ करवाइये

ना मिले आपकी जाति – धर्म का डॉक्टर -वैध -हकीम

तो  माँ -बाप को मरने के लिए यूँ ही घर बैठाइये

राम नाम सत्य बोलिये और बुलवाइये

हम सारे भारतीय सेकुलर ही थे और रहेंगे

दिमाग के इंजन में तेल जरा भरवाइये

सैकड़ो बातें हैं जो आपस में जोड़ती हैं

जाति – धर्म छोड़ सभी मानवता अपनाइये

सबसे मिलना , सभी संग चलना पहचान हो

मैं सेकुलर हूँ इस बात पर गुरूर होना चाहिये !

जी हां ये हमारा लेख नहीं वो दर्द है जो हम किसी को नहीं बता सकते ! लोग समझते हैं हम लेख लिख रहे हैं पर सच्चाई ये हैं कि हिंदू मुस्लिम दोनों ही खतरे मे हैं ऐसा दोनों ही जाति धर्म के लोग बोलते है “हम खतरे मे हैं” ! इन सारी समस्याओं की जड़ वह शिक्षा है, जो ख़ुद को ‘श्रेष्ठ’ और दूसरों को ‘तुच्छ’ समझने की मानसकिता पैदा करती है !

आप सूफ़ी संतों को देखिये सूफ़ियों ने कट्टरवाद को कभी पसंद नहीं किया ! हम ख़ुद मुल्लाओं की बातों को तरजीह नहीं देते हमें सूफ़ीवाद पसंद है तभी हम गाहे-विगाहे बोल ही लेते हैं कि ये मुसलमान सच्चा भारतीय है ! हालांकि ‘कुछ लोग’ सूफ़ियों को काफ़िर मानते हैं उनका यहां तक कहना है कि सूफ़ियों ने ही इस्लाम का बड़ा गर्क़ किया है !

एक दूसरा पहलू भी है; विश्व में इस्लामिक आतंक से मुसलमानों को ही सबसे अधिक नुक्सान हुआ है। २० साल इरान इराक युद्ध में ६ लाख मरे और ७ लाख ज़ख़्मी, सभी मुस्लिम थे। शिया -सुन्नी एक दूजे के खून के पियासे हैं। यही बात हमारे हिंदू भाईयो को खुश कर देगी, कि चलो अच्छा है ! यही सोच हिंदूओ का बेढा गर्क करवा रही है !

हमें सभी को साथ लेकर, एकता की मिशाल कायम करनी है, लेकिन उससे पहले जो हिंदू जाति मे ही भेदभाव भरा पडा है उसे मिटाना होगा, वर्ना याद रखना हिंदू जाति नहीं बल्कि उपजाति के हिसाब से जाने जाओगे !

———– लेखिका- जयति जैन “नूतन” , रानीपुर झांसी उ.प्र. ————

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जयति जैन 'नूतन'

लेखिका परिचय युवा लेखिका, सामाजिक चिंतक- जयति जैन "नूतन" पति का नाम - इं. मोहित जैन । 1: जन्म - 01-01-1992 2: जन्म / जन्म स्थान - रानीपुर जिला झांसी 3: पता- जयति जैन "नूतन ", 441, सेक्टर 3 , शक्तिनगर भोपाल , पंचवटी मार्केट के पास ! pin code - 462024 4: ई-मेल- [email protected] 5: शिक्षा /व्यवसाय- डी. फार्मा , बी. फार्मा , एम. फार्मा ,/ फार्मासिस्ट , लेखिका 6: विधा - कहानी , लघुकथा , कविता, लेख , दोहे, मुक्तक, शायरी,व्यंग्य 7: प्रकाशित रचनाओं की संख्या- 750 से ज्यादा रचनायें समाचार पत्रों व पत्रिकाओ में प्रकाशित 8: एकल संग्रह - 1) वक़्त वक़्त की बात ( लघुकथा संग्रह, 20 पृष्ठ) 2) राष्ट्रभाषा औऱ समाज (32 पृष्ठ) 3) मिट्टी मेरे गांव की (बुन्देली संग्रह, 104 पृष्ठ) साझा काव्य संग्रह A- मधुकलश B- अनुबंध C- प्यारी बेटियाँ D- किताबमंच E- भारत के युवा कवि औऱ कवयित्रियाँ । F - काव्य स्पंदन पितृ विशेषांक G- समकालीन हिंदी कविता । H- साहित्य संगम संस्थान से प्रकाशित उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन I- अनकहे एहसास J- वुमन आवाज महिला विषेषांक K- रेलनामा L- काव्य चेतना 9: सम्मान- - "श्रेष्ठ नवोदित रचनाकार सम्मान" से सम्मानित ! - अंतरा शब्द शक्ति सम्मान 2018 से सम्मानित ! - हिंदी सागर सम्मान - श्रेष्ठ युवा रचनाकार सम्मान - कागज़ दिल साहित्य सुमन सम्मान - वुमन आवाज़ अवार्ड 2018 - हिंदी लेखक सम्मान - भाषा सारथी सम्मान 10: अन्य उपलब्धि- बेबाक व स्वतंत्र लेखिका। हिंदी सागर त्रेमासिक पत्रिका में " अतिथि संपादक " (2018) 11:- लेखन का उद्देश्य- समाज में सकारात्मक बदलाव। 12:- रानीपुर (जिला झांसी उप्र) की पहली लेखिका जो प्रकाश में आयीं। 13:- लेखन के क्षेत्र में 2010 से अब तक ।