“गजानन वंदना”
हे गजानन गौरी नन्दन
मूषकवाहन यशस्विन
अर्पण करती श्रद्धा सुमन
मेरे प्रभु सर्व देवात्मन॥-1
हे गजानन पार्वती नन्दन
विघ्नविनाशन घर घर आँगन
रक्षक सर्वजन सर्वात्मन
रिद्धी सिद्धि सकल गुण कानन॥-2
हे गजानन उमा के नन्दन
विद्याधन शुभगुणकानन
पूज्य देव प्रथम गुणिन
मंगलमूर्ति चतुरानन॥-3
हे गजानन शिवशक्ति नन्दन
दुख दारिद्र रोग निकंदन
सर्व गुणों के दाता जनधन
मनसा महिमा पालक पूजन॥-4
हे गजानन शिवा के नन्दन
विघ्नहरन मंगलकरन
धूप दीप नैवेद्य मोदकम
करूँ आरती जय शुभवदन॥-5
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी