शिशुगीत

शिशुगीत

1. चालाक चूहा
घर में एक चूहा है आया
कुतर-कुतर सब उसने खाया
देख-देख सबकी परेशानी
पापा लाए चूहेदानी
मांँ ने झट से ब्रेड मंँगाया
टुकड़ा उसका एक फँसाया
चूहेदानी वहीं लगाकर
सोये हम कमरे में जाकर
खुश थे, भाग नहीं पाएगा
चूहा अब पकड़ा जाएगा
हाय! सुबह को जब मैं जागा
देखा, चूहा ब्रेड ले भागा
2.  चिड़ियाँ आईं लीची खाने

मेरी बगिया आज सजाने
चिड़ियाँ आईं लीची खाने

प्यारी-प्यारी सी चीं-चीं कर
लगीं मारने चोंच फलों पर

थोड़ा सा ही मुँह में जाता
बाकी डालों पर मुस्काता

मैंने जरा दिमाग लगाया
दालमोठ घर से ले आया

झट से नीचे उसे बिखेरा
सब चिड़ियों ने मुझको घेरा

उनकी भूख मिटी तब पूरी
घटी हमारी उनसे दूरी

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन