कविता : जुल्फों की बूदों में तुम
झटकूँ जब
अपनी ही जुल्फों को
भीगीं बूँदे जब
इधर उधर उड़ती हुई
करती जब स्पर्श मुझे!
कुछ चेहरे को
कुछ ओंठों को
कुछ बदन को
पर जैसे ही वो बूँद
दिल को छूती है
मेरा मन शांत हो जाता है!
जैसे तुमने बूँदो का रूप लेकर
मुझे दिल से लगा लिया हो
कभी ना दूर जाने के लिए!
— कुमारी अर्चना