“मुक्तक”
नमन करूँ जननी तुझे, चूमूँ तेरे पाँव
हर डाली तेरी खिली, फैली शीतल छाँव
मन चित तेरे पास हैं, सुंदर तेरा रूप
हर्षित हैं सारे लला, सुंदर स्नेहल गाँव॥
तेरी छवि अति पावनी, छाये सकल समाज
लाल तेरा निहाल मैं, जन धन बढ़ता राज
हर सुबहा सुंदर प्रभा, पुलकित है हर शाम
तूँ तो मातु देवात्मा, लालन पालन काज॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी