कविता
एक धुंधली तस्वीर हूँ मैं छूटता सिरा हूँ एक छोर का लापता सा कोई पता हूँ शायद या हूँ शहर का कोई सुनसान मोड़.. मैं अमावस की शाम हूँ एक टपकते घर की बरसात हूँ हूँ किसी नौजवान की दबी हुई आस या हूँ एक बेकसूर का कानून पर विश्वास.. किसी सुदूर गाँव की प्रलय हूँ शहर के रिश्तों का स्वार्थ हूँ हूँ किसी अंतहीन कहानी का शीर्षक या किसी की ख़ामोशी की आवाज़ हूँ.. किसी भूखे बच्चे की नींद हूँ ख्वाब हूँ किसी मृत व्यक्ति का हूँ वृतांत किसी खौफ़नाक मंजर का या किसी प्रेमी की अधूरी चाहत हूँ.. मैं कोई खूबसूरत एहसास नहीं हूँ और ना हूँ किसी की मंजिल मुझे पाना तो सरल है लेकिन चाहना है मुश्किल… ~ राज सिंह