कविता

उड़ान

पिता बेटी की आँखों में देखता
सपने, कल्पनाएँ
अन्तरिक्ष में उड़ानों के
पंख संजोता सपनों में ।

मन ही मन बातें करता
बुदबुदाता
मेरी बेटी का ध्यान रखना
जानता हूँ अन्तरिक्ष में
मानव नहीं होते
इसलिए हेवानियत का
प्रश्न नहीं उठता ।

पिता हूँ

बीमार -बूढ़ा हूँ
फिक्र है मुझे
बड़ी हो चुकी बेटी की
छट जाते , जब भ्रम के बादल
तब दूर से सुनाई देती
भीड़ भरी दुनिया में
उत्पीडन की आवाजें
उन्हें रोकने का बीड़ा उठाती
बेटी की आक्रोशित आँखे ।

देती चीखों के उन्मूलन का
देखता हूँ विस्मित नज़रों से
फिर से संजोये सपनो को
बेटी की आँखों में
उडान
उत्पीडन से निपटने की
होंसलो ,कल्पनाओ के साथ ।

संजय वर्मा “दृष्टि ”

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /[email protected] 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच