बाल कविता – छोटकू
बड़का भैया गए मेला
सज-धज तैयार,
संग-संग भाभी जी हैं
लेगी एक हार।
छोटकू रह गया घर ही,
पापा लिए नहीं साथ।
रो-रो कर हाल बुरा है,
हुई घर में बरसात।
दादीजी खूब समझाए
दे बहुत दुलार।
छोटकू तो छोटकू है,
करने लगा झमेला।
ले चलो दादी मुझे,
देखूंगा मैं मेला।
हुई हर बार दादी की
कोशिश बेकार।