गूंज रही अम्बर में
गूंज रही अम्बर में, भारत मॉ की जय -जय-जयकार |
इस पावनभूमि पर राम – कृष्ण ने लिया था अवतार ||
गाया-शेर होकर निर्भय यहॉ, एक घाट पर पीते थे पानी |
वीर भरत और एकलव्य की है, अमर – अनूठी कहानी ||
तुलसी, सूर-कबीरा के छंदों से है, अमिट पहचान हमारी |
मेरे भारतमाता की मिट्टी की खुशबू सौंधी – सौंधी प्यारी ||
गुरूवर विरजानंद के दयानंद से शिष्य हुए यहॉ निराले |
सुभाष,भगत,चन्द्रशेखर,बिस्मिल से क्रांतिवीर मतवाले ||
गूंज रही अम्बर में, भारत मॉ की जय -जय-जयकार |
इस पावनभूमि पर राम – कृष्ण ने लिया था अवतार ||