बाल दिवस पर दोहे
दशरथ पिता नहीं रहे, कहां मिलेंगे राम।
रिश्ते भी अब नेट पर, ढूढ़े मिले तमाम।1।
पढना लाल भूल गये, संस्कारों की बात।
कौन उन्हें समझाये,आज भला यह बात।2।
बाल साहित्यकार भी,हो गये आज स्यान।
लाल भी अब ठीक-ठीक, कैसे पाये ज्ञान।3।
बाल साहित्य में छुपा, दुनिया भर का ज्ञान।
ठीक-ठीक जो पढ़ लिया,उस घर का कल्याण।4।
लाल-लाल अब ना रहा बन गया आज बाप।
खोद रहा खुद की कबर,देखों अपने आप।5।
लाल कहां अब जा रहा, देखो आज इंसान।
आज इसे यही रोको,जन-जन दो अब ध्यान।6।