कल रात
कल रात तू मेरे सपने में आई थी
कुछ देर मुझे देख मुस्कुराई थी
मैने बहुत की थी कोशिश
कि छू के देखूँ तुझको
पर छू सकूं इस से पहले ही
तेरी आँख भर आयी थी
क्या वजह थी उन आंसुओं की
ये बात न मेरी समझ आयी थी
क्या वो रिश्तों की थी मर्यादा
या किसी को दिया वचन
पर तू चाह कर भी
मेरे नज़दीक न हो पाई थी
पर शायद तू भी नही रह सकती
बिना मिले मुझसे
तभी तो
हक़ीक़त में सम्भव नही
तो सपने में ही आयी थी
हाँ.. काल रात तू मेरे सपने में आई