पद्य साहित्य

शैर – अलका जैन

यूं गुजरने को तो उम्र गुजर ही जायेगी।

गर चैन से गुजरती तो जिन्दगी होती।

ळळळ

दिल के दर्द को इस तरह छुपाया मैंने,

कि जैसे दामने दाग छुपाते हैं लोग।

ळळळ

दर्दो गम में अश्क बहाते जब किसी को देखते हैं हम

तड़फ कर खुद से कहते हैं, जीने का सऊर नहीं है।

ळळळ

काश! हमराज बनके कोई हाले दिल सुन ले,

आखिर कब तक रखेंगे राज-ए-दिल बसाये दिल में

ळळळ

राह में जब कोई पत्थर कदमों से टकरा गया मेरे,

कहीं दूर से सदा आयी, सम्हलकर चल ओ जाने वाले।

ळळळ

क्या शिकवा चांद तारों से, गर रात ही अंधेरी है,

जिन्दगी के अंधेरों में चिरागे-दिल जलाओ तो सही।

ळळळ

हर दर्दो गम जहा के सितम खुशी से सह लूंगी,

मत जुवां से कहना कभी बात तुम जुदाई की।

ळळळ

हालात कहूं, वक्त कहूं या मजबूरी कहूं मैं,

किया वक्त ने सब कुछ मुझे खामोश कर दिया।

ळळळ

सफर कम्बो लुत्फ कहाँ गर खार नहीं राहे मंजिल में,

वो पत्थर है इंसान नहीं, प्यार नहीं जिसके दिल में।

ळळळ

फूल मसला देख तड़फ कर कह उठी बुलबुल,

बेहतर होता खिलने से पहले यह झर गया होता।

ळळळ

जाने किस शाख की मुहब्बत रोके रखी उसे,

वरना इस आंधी ने तो दरख्तों को उखाड़ फेंका है।

ळळळ

मेरी मजबूरी को बेवफाई का इल्जाम दे दो,

कुछ हद तक कम हो जाये, शायद तुम्हारा गम।

ळळळ

तू हमदर्द है मेरा यकी है इस बात पर मुझे,

पद दर्द वो शै तो नहीं जो कि बांटी जाये।

ळळळ

तुम ही कहो कैसे हटा दूं, याद की इन बदलियों को

ज्यों हटाओ त्यों ही लगती है बरसते आंसुओं में।

शैर  लेखिका – अलका जैन

 

अलका जैन 'अन्नू'

नाम - श्रीमती अलका जैन , पति का नाम - डा. प्रमोद कुमार जैन , बेटी - जयति जैन "नूतन " और बेटा - पारस जैन कार्य - ग्रहणी , लेखन - काफी सालो से , विधा - कविताये , ग़ज़ल, शायरी , पता - डा. प्रमोद कुमार जैन , बस स्टैंड रानीपुर झांसी २८४२०५ mail- [email protected]