मुलायम सिंह क्या साबित करना चाहते हैं?
लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ऐतिहासिक पराजय के गम से लगता है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव व उनका परिवार अभी तक उबर नहीं पाया है। सपा मुखिया मुलायम सिंह अपने बयानों से काफी निराशावादी व दिग्भ्रमित प्रतीत हो रहे हैं। वह अपने बयानों से न तो समाजवादी लग रहे हैं और न ही धर्मनिरपेक्षतावादी। सपा मुखिया इस समय अपने बेटे के मोह से पीड़ित तो दिख ही रहे हैं, साथ ही साथ उनके मन में देश का प्रधानमंत्री न बन पाने का दुख भी समा गया है तथा अब उन्हें यह भी लग रहा है कि यदि उप्र और केंद्र में योगी और मोदी की जोड़ी ने लम्बे समय तक शासन कर लिया तो उनके बेटे की भविष्य की रही-सही सभी संभावनायें भी समाप्त हो जायेंगी।
उप्र व देश की राजनीति में एक समय ऐसा था जबकि सपा मुखिया मुलायम सिंह की बातों का लोग सम्मान करते थे, लेकिन अब देश की राजनीति की गंगा में काफी पानी बह चुका है। अब हताशा व हाशिये पर पड़े मुलायम सिंह केवल मीडिया में चर्चा में बने रहने के लिये तथा अपने बेटे को भविष्य में कैसी राजनीति करनी है के गुण सिखा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर वह अपने बयानों से अपने कार्यकाल के दौरान किये गये हिंदुओं के नरसंहारों व उसके बाद पूरे उप्र में भड़़के दंगों को बड़े ही गर्व के साथ सही ठहरा रहे हैं। सपा मुखिया के बयान मुस्लिम तुष्टीकरण की चरम सीमा को पार कर रहे हैं। अभी हाल ही में उन्होंने अपनी लगातार कुंठित हो रही मानसिक विकृति का परिचय देते हुए कहा था कि भगवान राम के प्रति केवल उत्तर भारत में ही आस्था है तथा भगवान श्रीकृष्ण के प्रति पूरे भारत में आस्था है।
इस बयान की जितनी निंदा की जाये वह बेहद कम है। सपा मुखिया मुलायम सिंह इतने मूर्ख हैं यह उनके बयान से पता चल रहा है। उन्हें यह नहीं पता कि भगवान श्रीराम के प्रति पूरे देश में आस्था है। थाइलैंड , इंडोनेशिया, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका सहित विश्व के अधिकांश देशों में भव्य रामलीला का मंचन होता है। अभी मनीला में विश्व के नेताओं के सम्मुख रामायण का भव्य मनोहारी मंचन किया गया था, जिसे पीएम मोदी व अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी देखा था। रामायण लोगों को जीवन जीने का तरीका सिखाती है। यदि सपा मुखिया मुलायम सिंह भगवन श्रीकृष्ण के इतने बड़े भक्त हैं तो वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि को आजाद करवाने का आंदोलन क्यों नहीं छेड़ रहे? भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत की लड़ाई व गीता में कहीं भी इस प्रकार के नरसंहार करने का समर्थन नहीं किया।
देश की राजनीति में सपा मुखिया मुलायम सिंह जैसा विकृत राजनीतिज्ञ संभवतः नहीं हुआ होगा, लेकिन उनकी श्रेणी में कुछ सीमा तक बिहार के लालू परिवार को रखा जा सकता है। सपा मुखिया का कहना है कि पहली बार सपा को केवल 47 सीटें ही उपलब्ध हुई हैं। उनका यह भी कहना है कि अयोध्या में हिंदुओ पर गोली चलवाने के बाद भी उनको 105 सीटें मिली थीं। वह हिंदुओं पर गोली चलाने की घटना पर अपनी वाहवाही लूटना चाह रहे हैं। वह मुसलमानों के बीच में यह संदेश देना चाह रहे हैं कि अब उनका बेटा अखिलेश उनके लिए काम करने आ रहा हैं। सपा मुखिया मुलायम सिंह बार-बार यह कह रहे हैं कि अयोध्या में यदि और मारे जाते तो क्या हो जाता। वह बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि उनकी वजह से अयोध्या में बाबरी मस्जिद सही सलामत रही, इसलिए मुसलमानों के लिए सबसे मुफीद समाजवादी दल ही है। उन्होंने अपनी जन्मदिन की पार्टी में यह भी कहा कि मुस्लिम समाज के लोग वोट डालने के लिए नही निकल रहे। अब समाजवादियों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए ताकि समाजवादी दल की स्थिति मजबूत हो सके।
सपा मुखिया ने प्रदेश की राजनीति का पूरी तरह से सांप्रदायिक आधार पर विभाजन करने का प्रयास किया है। उनके बयानों के आधार पर समाजवादी दल के खिलाफ धर्म आधारित राजनीति करने का मुकदमा चलाया जा सकता है। 2 जनवरी 2017 को सर्वोच्च न्यायालय ने इस विषय पर एक बड़ा महत्वपूर्ण निर्णय सुना रखा है। समाजवादी दल की मान्यता के खिलाफ अपील भी की जा सकती है। भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि सपा मुखिया के बयान मुस्लिम तुष्टीकरण का अंतिम प्रयास हैं। वह कारसेवकों पर गोलियां चलवाने की बात कहकर हिंदु तथा हिंदुत्व पर प्रहार करने का काम करते हैें। वर्ग विशेष के वोटों का मोह पुत्रमोह से जुड़कर सांस्कृतिक द्रोह तक पहुंच गया हैं। अब समय आ गया है कि वह रामभक्तों पर गोलियां चलवाने के मामले में मीडिया के माध्यम से अपना अपराध स्वीकार करते हुए माफी मांगे। सपा मुखिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पहुंच भी गयी है। समाजवादियों को यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि जब-जब उप्र में उनकी पराजय हुई है उसका सबसे बड़ा और प्रमुख कारण अंधाधुंघ मुस्लिम तुष्टीकरण ही रहा है। समाजवादी सरकार में सबसे खराब कानून व्यवस्था रहती है। जब-जब सपा सरकार प्रदेश में आती है अपराध बेतहाशा बढ़ जाते हैं। अखिलेश की सरकार में भू माफिया व खनन माफिया का जबर्दस्त बोलबाला हो गया था। महिलाओं पर अत्याचार व बलात्कार आदि की वारदातें आम हो गयी थीे।
आज प्रदेश में एक कर्मठ व ईमानदार मुख्यमंत्री की सरकार बनी है तब से समाजवादियों व उनकी सरपरस्ती में पनपने वाले अपराधियों व गुंडों के बुरे दिन आरम्भ हो चुके है। समाजवदी सरकार में धन की लूट मची हुई थी तथा कोई भी विभाग ऐसा नजर नहीं आ रहा जहां घोटाले दर घोटाले न हुये हों। प्रदेश में समाजवादियों की जमीन अब खिसकती जा रही है तथा निकाय चुनावों के बाद सपा की हालत और बुरी हो सकती है। यह बात अलग है कि कालेधन और बेनामी संपत्तियों के बल पर समाजवादी अभी एक दो चुनाव बड़े आराम से लड़ सकते हैं।
आज की तारीख में सपा मुखिया ने जिस प्रकार से हिंदुओं की हत्या करवाकर अपने आप को बेहद गौरवान्वित महसूस किया है उससे उनकी छवि को गहरा आघत लगा है। सपा मुखिया के बयानों से मुस्लिम समाज भी हतप्रभ व असहज हो रहा है। मुस्लिम समाज भी अब अपने आपको इन दलों के बंधनों से मुक्ति चाह रहा है जो केवल उसको अपना वोटबैंक मानकर बंधक बनाकर रखना चाह रहा है। अब समय आ गया है कि सपा मुखिया यदि अपने बेटे का भविष्य बचाना चाहते हैं तो धैर्यपूर्वक शांत रहें तथा अब शांति के साथ अपना जीवनयापन करें और जनता को भी करने देें। इसी में समाजवादियों की भलाई है। अब देश व प्रदेश की राजनीति में सपा मुखिया की भूमिका व महत्व का अवसान हो चुका है। कोई भी उनको गंभीरता से नहीं ले रहा।
— मृत्युंजय दीक्षित
हिंदुओं का हत्यारा