” पिंजरे का पंछी ” !!
मनमोहन जी ने समय से पहले 2 वर्ष पूर्व ही स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लिया था ! पत्नी राधिका ने बहुत मना भी किया था , परन्तु वे अपने दोनों बेटों के दबाव के चलते इसी निर्णय पर पहुंचे थे !
दोनों बेटे सेटल होकर पूणे में ऊंचे ओहदों पर पदस्थ थे !आखिरकार न चाहते हुए भी मनमोहन व राधिका के नए परिवेश में जीवन की शुरुआत हो गई थी !
बेटे बहु चारों जन जॉब में थे , सप्ताहांत में ही परिवार के सभी सदस्य आपस में मिल पाते थे ! बाकी दिनों में दैनंदिनी कार्य की जरूरतें धीरे धीरे मनमोहन जी के साथ
जीवन की अनिवार्यता के स्वरूप बनती जा रही थी !
घर के छोटे मोटे सभी घरेलू कामकाज के साथ घर की सुरक्षा एक ऐसी जिम्मेदारी बन गई थी जिससे वे मानो बंधकर रह गए थे !
इन दिनों दोनों के स्वास्थ में गिरावट आती जा रही थी , सामाजिक उत्सवों में उपस्थित होना भी कठिनतम होता जा रहा था ! उनकी भूमिका महज पिंजरे के पंछी जैसी हो गई थी , मनमोहन राधिका दोनों आहत हो चले थे !
आखिरकार आज 2 वर्ष उपरांत मनमोहन को बहू की एक बात जो उलाहने में मिली थी , चुभ गई थी ! शाम को अपने मनोज से वर्षा कह रही थी , देखा –
” बाबूजी आजकल दिनभर टी वी देखते रहते हैं परंतु घर के काम को टाल देते हैं ! आज घर में राशन का सामान बाज़ार से आया नहीं शाम का खाना हॉटल से आर्डर कर दो , रोज रोज की बहसबाजी मुझे पसन्द नहीं !”
बेटे मनोज ने कुछ कहा नहीं था , परन्तु होटल से खाना आर्डर किया उसमें पित्ज़ा व बर्गर था !
मनमोहन व राधिका को यह खाना पसंद नहीं था , मुंह झूंठा कर उठ गए थे ! बेटे बहू ने भी कु छ कहा नहीं , खा पीकर अपने बेडरूम में घुस गए थे !!
यह आज कोई नई बात नहीं थी , आजकल अक्सर ऐसा जब तब होने लगा था !
आज मनमोहन ठान कर बैठे थे , कुछ करने की ! एक दो जगह ऑनलाइन वेकेंसी देखी , अप्लाई किया , इंटरव्यू हुए !
दो दिन बाद मनमोहन जी को आठ लाख के पेकेज पर जॉब
ऑफर हुई थी ! पत्नी राधिका की सहमति ले वे आज इसे ज्वाइन करने जा रहे थे , एक नए जोश , नयी उमंग के साथ ! आज वे अपने आप को नए विहान में उड़ने वाली पंछी सा महसूस कर रहे थे !!
पिंजरा तोड़ कर उड़ने वाला पंछी जो आतुर था , अपनी नई उड़ान के लिए !!