कविता

कविता

हे औरत!
यह काँटो की सेज हैं
तुम अपने को सहेज
हे जमाने!
यह औरत हैं
किसी मर्द का
औजार नहीं
सताए कोई भी
यह तुम्हें अधिकार नहीं
औरत हैं खूबसूरत
खुशियों की पेटी
किसी की तो होगी
माँ-बाप की बेटी
निकल रही मन में
मर्म वेदना
स्तब्ध खड़ा हाथजोड़
सृष्टिपालक सम्मुख
अब कोई औरत
लाजिमी नही होगी
सड़क पर चिथड़ों
की तरह बिखरी
फिर वो दामिनी ना होगी।

— जालाराम चौधरी

जालाराम चौधरी

पूरा पता-गांव डाबली,पोस्ट खंडप,वाया मोकलसर, तहसील सिवाना,जिला बाड़मेर राज्य राजस्थान,देश भारत पिन कोड नंबर 344043 सम्पर्क सूत्र 9166993382