कविता

कविता

मैं कविता नहीं लिखता
मैं उपमा नहीं देता
मैं शब्दों में सपने नहीं दिखाता
मैं झूठी तारीफ़ के पुल नहीं बांधता
हां,,,हां,,,,ये सच है
खरा सच है
मैं नहीं दूंगा तुम्हें
कोई भी छलावा
नहीं रखूंगा तुम्हें
किसी गलफ़त के पर्दे में
मैं पुरूष प्रजाति का
एक विचित्र जीव हूं
जो तुम्हारा स्वाद और रस
लेने के बाद भी
तुम्हें रसीली नज़र से निहारेंगा
आत्मबंधन में जकड़ जाने के बाद
तुम्हारे दर्द पर चिल्लाएगा
अब इतना भी क्या भाव खाना
चली भी आओ
मेरे फैलाये प्रेमपाश में
हमेशा के लिए
क्योंकि तुम ही वो कविता हो
जिसका कवि बनने की
मुझे बेइंतहा तलब है।

 

देवेन्द्रराज सुथार

देवेन्द्रराज सुथार , अध्ययन -कला संकाय में द्वितीय वर्ष, रचनाएं - विभिन्न हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पता - गांधी चौक, आतमणावास, बागरा, जिला-जालोर, राजस्थान। पिन कोड - 343025 मोबाईल नंबर - 8101777196 ईमेल - [email protected]