गीत/नवगीत

“गीत”

चलो री हवा पाँव चेतक लिए

उड़े जा वहाँ छाँव चंदन हिए

जहाँ वास सैया सुनैनन भली

प्रभा काल लाली हिमालय चली॥

सुना है किसी से वहाँ है प्रभा

बढ़ो आज देखूँ पिया की सभा

प्रकृति है दिलों में प्रसूना भली-

सजा लूँ गजारा सजा के चली॥

अनेकों भरी है वहाँ पै दवा

नुरानी सुहानी जहाँ की हवा

रहूँगी तकूँगी सुबा की गली

पिया से मिलूँगी सखी मनचली॥

भुला के दुखों को रहूँगी सखी

लुभा के पिया से कहूँगी सखी

लगा के लला काँध गोरी चली

जगा के हिया प्रेम भोरी चली॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ