कुंडलियाँ छंद
अपना भारत देश जो,लगे सुरक्षित आज।
हर पल सेवारत् रहें,दृढ़ता से जांबाज।
दृढ़ता से जांबाज,रहें जल-थल-अंबर में।
तब जाकर सुख-चैन,प्राप्त करते हम घर में।
कहता ‘कवि विकलांग’,यही मेरा है सपना।
रहे सदा खुशहाल,देश में सैनिक अपना।।
पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’