कविता

इश्क़ का गाँव 

बसाना चाहता हूँ
डाकूओं की बस्ती से दूर
इश्क़ का गाँव
जहाँ हो प्रेम के पेड़
मोहब्बत की तितली
और सर्द रातों में
जलता रहे
स्नेह का अलाव
हाँ ! बसाना चाहता हूँ
नफ़रत की नागफनियों से
कई दूर … बहुत दूर …
रोमांच की वादियों में
हर्ष की हरीतिमाओं के बीच
खुशियों का तालाव
जहाँ हो प्रीत की ठंडी छाँव
कपट, ईष्र्या, द्वेष, घृणा का
क्षय करता भाईचारा व मैत्री और
अपनत्व का लगाव
हाँ ! सच करना चाहता हूँ
मैं यह ख्याली पुलाव
हाँ ! बसाना चाहता हूँ
मैं इश्क़ का गाँव

देवेन्द्रराज सुथार

देवेन्द्रराज सुथार , अध्ययन -कला संकाय में द्वितीय वर्ष, रचनाएं - विभिन्न हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पता - गांधी चौक, आतमणावास, बागरा, जिला-जालोर, राजस्थान। पिन कोड - 343025 मोबाईल नंबर - 8101777196 ईमेल - [email protected]