इश्क़ का गाँव
बसाना चाहता हूँ
डाकूओं की बस्ती से दूर
इश्क़ का गाँव
जहाँ हो प्रेम के पेड़
मोहब्बत की तितली
और सर्द रातों में
जलता रहे
स्नेह का अलाव
हाँ ! बसाना चाहता हूँ
नफ़रत की नागफनियों से
कई दूर … बहुत दूर …
रोमांच की वादियों में
हर्ष की हरीतिमाओं के बीच
खुशियों का तालाव
जहाँ हो प्रीत की ठंडी छाँव
कपट, ईष्र्या, द्वेष, घृणा का
क्षय करता भाईचारा व मैत्री और
अपनत्व का लगाव
हाँ ! सच करना चाहता हूँ
मैं यह ख्याली पुलाव
हाँ ! बसाना चाहता हूँ
मैं इश्क़ का गाँव