व्यंग्य – गब्बर का चुनाव जीतना
गब्बर ने कालिया से सवाल करते हुए पूछा – अरे ! कालिया, तनिक बता तो खरा हमारे देश में चुनाव के क्या मायने हैं ? कालिया ने कहा – सरदार ! चुनाव मतलब लाखों लोग अपने में से किसी एक को अपना सरदार चुनते हैं। भले फिर वो सरदार असरदार हो या नहीं हो ! मालिक ! चुनाव शब्द से ही स्पष्ट होता है ऐसे व्यक्ति को चुनना है, जो नाव को सही-सही किनारे तक ले जाएं। लेकिन, विगत सालों में हुए चुनावों में चुने हुए लोगों ने नाव को डूबाने का ही पुनीत कार्य किया है। बिलकुल हम तो डूबेंगे सनम, तुमको भी ले डूबेंगे। हाँ-हाँ-हाँ गब्बर ठहाके लगाकर हंसते हुए – कालिया ! तेरे को बहुत ही जानकारी है चुनाव के बारे मेें ? कालिया – सरदार इन चुनावों में दारू-वारू अपने ही ठेके से सिप्लाई होती है। गब्बर ने फिर जिज्ञासावश सवाल किया – कालिया ! अपन को भी चुनाव लड़ना है। इस गब्बरपंथी में तो अपन की जान को पूरा जोखिम है। ससुरी ! पुलिस कभी एनकाउंटर में उड़ा सकती है। चुनाव में जीतने के बाद तो अपन के पास गब्बरपंथी का पक्का लाइसेंस आ जायेंगा। फिर पुलिस भी अपन का साथ देगी। कालिया – हाँ ! हुजूर, बात तो आप सोलह आना सच्ची कर रहे है। लेकिन, आपको इस चुनाव में जीतायेगा कौन ? आपके पास योग्यता है क्या ? गब्बर आक्रोशवश – कालिया इस चुनाव के लिए क्या योग्यता चाहिए ? हम कई से भी खरीदकर लाएंगे। कालिया – सरदार एक तो सफेद कुर्ता इस्त्री किया हुआ होना चाहिए और एक टोपी चाहिए वो भी गांधीजी वाली। दूसरी टोपी लोगों को पसंद ही नहीं है। मार्केट में इसकी ही वैल्यू है। ठीक है। आगे बता ! ओर सरदार आपको चुनाव तक हद से ज्यादा हदतक शरीफ बनने की एक्टिंग करनी पडे़गी। जिन हाथों से आपने लोगों को लुटा है, अब उन हाथों से आपको लुटाना भी पड़ेगा। हालांकि चुनाव जीतने के बाद तो आप फिर लुटने के अधिकारी वैध तरीके से बन ही जाएंगे। गब्बर – अच्छा ! ओर लोगों को कैसे बाटली में लेंगे अपन ? कालिया – लोगों को बाटली में लेने के लिए अपने ठेके की बाटली ही काफी है, हुजूर ! बस ! आपको थोड़ा बहुत गेटप चेंज करना पड़ेगा, ताकि लोगों को शक न हो। ओर हम किसे अच्छे लेखक से एक स्पीच और दमदार वायदे लिखवाकर लाएंगे, उन्हें कंठस्थ करना होगा। विपक्ष पार्टी कुछ भी बोले ? उन्हें गालियों से घायल करते रहना और वायदे पर वायदे फेंकते रहना। बिलकुल फेंकू नेता के माफिक। यदि विपक्ष वाला आपको नीच भी कहे, तो भी आप अपनी नीचता मत दिखाना। हंसते-हंसते उल्टा उसे महान कह देना। महान कहते ही बेचारा शर्म से ही मर जायेगा। दो-तीन सप्ताह तक सांभा और कालिया ने गब्बर का जबरदस्त अभ्यास करवाया। गब्बर ने द गब्बर पार्टी से आवेदन दाखिल किया। चुनाव हुए और गब्बर ने भारी मतों से जीत हासिल की। कालिया और सांभा को अपनी मुख्य सलाहकार टीम में शामिल कर दिया। इस तरह गब्बर ने युक्तियुक्त ढंग से अपने धंधे का लोकतंत्रीकरण कर डाला। अब वह कितना भी लूटे, उसे कोई कहना वाला नहीं है। पुलिस जो उसे बंदूक दिखाती थी, वह अब उसे सलाम ठोंकती है। बिना गंगा में नहाये ही एक चुनाव में विजय से गब्बर के सारे अपराध व पाप धुल गये। यह ही तो कमाल है भारत में चुनाव का।