एक खत होने वाले पति के नाम
प्रिय होने वाले पति
आजकल सुनने मे आ रहा है कि तुम दहेज रूपी बाजार मे खूब बिक रहे हो और बोली भी खूब लग रही हैं,उपर से तुम खूब इतरा भी रहे हो तो सुनो मुझे ऐसा बिल्कुल पसंद नही,मै कतई ये नही कर सकती कि मै अपने होने वाले पति को पैसा देकर खरीदूँ या यह साबित कर दूँ कि वो अपने बल से नही हैं,उसे एक अमीर बाप की बेटी चाहियें जो उसे अधिक से अधिक पैसा देकर अपना बना लें। ये तो एक तरह से अपमान हुआ और ये अपमान मै बरदाश्त नही कर सकती । मै नही चाहती कि तुम्हारा मोल दहेज रूपी बाजार मे लगे और तुम दहेज रूपी पैसो से सेहरा बॉध कर मेरे दरवाजे पर आओ। मुझे ज्यादा पैसा वाला पति नही चाहियें मुझे बस मेरे जैसा साधारण,इमानदार और इज्जत देने वाला पति मिलें जिसपर मै खूब नाज करूँ और सबसे यह कह सकूँ कि मेरा जीवन साथी उनलोगो मे से एक है जो दहेज रूपी बाजार को ठुकरा कर मुझे अपना बनाया हैं और उस काबिल है कि मेरा और अपना ख्याल अच्छे से रख सकता हैं।
सुनो प्रिय कभी-कभी ये भी सुनती हूँ कि तुम्हारे मॉ -पापा कहते है कि मैने अपने बेटे को ये किया वो किया बड़ी मेहनत से पढाया लिखाया , बहुत पैसा खर्च किया इसपर तो दहेज लेंगे ही ,तो सुनो मेरे मॉ -पापा भी मुझे अनपढ गवार बनाकर नही रखे हैं उन्होने भी मुझे पैसा खर्च करके ही पढाया लिखाया है तो ये हिसाब कौन करेगा । मेरे ख्याल से तो दोनो मॉ -पापा बराबर हैं फिर हमदोनो के बीच कोई हिसाब ही नही होनी चाहियें। ऐसे भी शादी एक ऐसा बंधन है जिसमे दो जन बंधने के बाद दो जिस्म एक जान हो जाते है तो फिर तुम्हारे और मेरे मे अंतर ही क्या और हिसाब ही क्या…. तुम भूल जाओ समाज के सभी कुरीतीयो को और बिन दहेज का मेरे घर सेहरा बॉध कर घोड़ी पर सवार हो एक अच्छा राजकुमार बनकर आओ ।
अरे हॉ एक बात तो बताना भूल ही गयी ये जो शादी के बाद लड़की अपना सरनेम बदल देती हैं मानो उसका अपना कोई वजूद ही न हो तो ये काम मुझसे नही होगा। मै अपना सरनेम नही बदलूँगी और न तुम बदलने के लिये बाधित करोगे। मै नही चाहती कि तुम भी सामाज के उन कुरीतीयो का पालन करों जिनका पालन आज भी हमारे समाज के लोग कर रहे हैं। मै चाहती हूँ कि तुम उनलोगो से अलग कर के दिखाओ और एक आदर्श पति बनों।
तुम्हारी होने वाली पत्नी
निवेदिता चतुर्वेदी(खुशबू)