हेल्पलाइन और नम्बर गेम
देखिये,पंजाब पुलिस कितनी समझदार है कि जब आम जन पुलिस को बार-बार शिकायत कर रही है कि 100 नम्बर मिलता ही नहीं है तो उसने एक नया नम्बर 112 ले लिया।अब जब भी किसी इमरजेंसी में जरूरत पड़ेगी तो पंजाब पुलिस को बुलाने या सूचना देने के लिए 112 नम्बर का इस्तेमाल किया जा सकेगा।वैसे सभी जानते हैं कि जन-जन के मुँह पर 100 नम्बर चढ़ चुका है अतः फिलवक्त इस नम्बर का भी उपयोग किये जाने की सुविधा बरकरार रखी गई है यह सब दो विभागों के संगम से ही संभव हुआ है अन्यथा आप तो विभाग की बात कर रहे हैं, यहाँ व्यक्ति-व्यक्ति मेल मुलाकात कर लें तो प्रसाद बंट जाए।बीएसएनएल ने भी सहर्ष सहमति दे दी है।वह भी जानती है कि चाहे 100 डायल करो या 112 डायल करो ,क्या अन्तर पड़ता है!नम्बर मिलता नहीं है, मिल जाए तो सहायता मिलती नहीं,शायद उनके आड़े कुछ मजबूरियाँ आ जाती होंगी।
वैसे यह नम्बर वाला सिलसिला केवल वर्दीधारियों के लिए ही नहीं है, आकस्मिक दुर्घटना के शिकार लोगों के लिए भी है।घायल को ऊपर ले जाने वाले यमदूत तो शीघ्रता दिखा देते हैं लेकिन अस्पताल तक पहुँचाने वाले अपनी गति से ही आते हैं और आयेंगे भी तभी जब भाग्य साथ दे जाए और उनका नम्बर मिल जाए।इसके अलावा भी इतनी हेल्पलाईनें खुल चुकी हैं कि इस जानकारी को हांसिल करने के लिए ही एक अदद हेल्पलाईन की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है।प्रदेश के मुखिया तक अपनी हेल्पलाईन खोल कर बैठे हैं ताकि जनसमस्याओं का निस्तार लगा सकें लेकिन यह मुई नौकरशाही ऐसी ढीठ होकर बैठी है कि उसके बारे में कहा जाता है कि वह उल्टा घड़ा हो गई है जिस पर कोई पानी टिकता ही नहीं है और उस घड़े को सीधा करने की कुव्वत अभी तो किसी में दिखाई नहीं दे रही है।
कहीं ऐसा तो नहीं कि इसीलिए यह नम्बर परिवर्तन कर सोचा जा रहा हो कि इससे बदलाव आ जाए लेकिन यह सब इतना आसान कहाँ है!बस नम्बर-नम्बर का खेल खेला जा सकता है।
साम्यवादी और समाजवादी विचारधारा के लोगों ने भी सोचा था कि भ्रष्ट पूंजीवादी व्यवस्था को बदलने के लिए सम्पूर्ण समाज को बदल दिया जाए लेकिन व्यवस्था तो नहीं बदली,साम्यवादी और समाजवादी अवश्य ही बदल गये।अब वे भी पूंजीवादी रंग में रंग गये हैं।जिन्हें लगता है कि उनके साथ या उनके समाज के साथ भेदभाव हो रहा है,अन्याय हो रहा है, वे खुद ही कुछ पा लेने के बाद भेदभाव करना,अन्याय करना शुरू कर देते हैं और इस तरह से वे भी समाज से अपना प्रतिशोध लेना प्रारम्भ कर देते हैं,यह प्रतिशोध चाहे अपने लोगों से हो या परायों से।खैर,बात नम्बर बदलने की है तो कहने वाले कह सकते हैं कि जब सौ नम्बर नहीं मिल पाता है तो दूसरा अन्य नम्बर बदलने से क्या कोई चमत्कार हो जाएगा,इसका उत्तर तो हमें खोजना ही होगा।कहने वाले कह रहे हैं कि क्या ऐसा कोई उपाय नहीं किया जा सकता कि जो नम्बर पूर्व से ही दिया गया है, वही मिल जाया करे लेकिन भाई मेरे ऐसा कैसे हो सकता है!मांगने से यदि भगवान मिल जाते तो दुनिया का कल्याण नहीं हो जाता!ऐसा ही कुछ इस नम्बर गेम का है।यदि नम्बर मिल गये तब तो सारी समस्याएं हल हो जाएगी और लोगों का कल्याण हो जाएगा!तब फिर इन्हें कौन पूछेगा!