कविता शीर्षक – जागे से ख्वाब तेरे
उनिंदी पलकों में , जागे से ख्वाब तेरे
रातों में जुगनू से , दमकते अहसास मेरे
क़तरा क़तरा दे रहा सदाएं
कुछ कहती हैं ज़रा सुनो ये हवाएं
लम्हा-लम्हा सरकती हैं
समय की अनगिनी घड़ियां
कुछ पल ठहरो तो
हो जाएं कुछ अनकही बतियां
तेरी यादों के सुनहरे ख्वाबों में
खोया सा रहता है दिल आजकल
अब न जाना छोड़ कर कहीं
कहता सा रहता है दिल आजकल