तीन समसामयिक मुक्तक
मुक्तक-1
जनता के जज्बातों से खेलना मेरा काम
देखो सीना छप्पन से अच्छा हो परिणाम
दुनिया चाहे कुछ भी कहे लाल की चले दुकान
जय जय हो सियाराम,जय जय हो सियाराम
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मुक्तक-2
लोगो को गमुमराह करके हासिल किया मुकाम
भ्रष्टाचार की आड़ में खूब हो रहा अपना काम
लाख विरोधी सर पटकले लाल की चले दुकान
जय जय हो सियाराम,जय जय हो सियाराम
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मुक्तक-3
अब बारी उन्नीस की बीस करेगे हम काम
ढोल पिटेंगे जनता में भारत का हुआ नाम
लेके खूब राम का नाम लाल चलाये दुकान
जय जय हो सियाराम,जय जय हो सियाराम
— लाल बिहारी लाल, नई दिल्ली