हास्य-व्यंग्य – सिर मुड़ाते ही ओले पड़े
गुजरात और हिमाचल में कांग्रेस की स्थिति “सिर मुड़ाते ही ओले पड़े” वाली हो गई। काफी आस उम्मीद से माताश्री ने पुत्र को कांग्रेस अध्यक्ष पद का ताज सौंपा लेकिन जनेऊ, मंदिर, हार्दिक, अल्पेश, जिग्नेश कुछ भी चमत्कार नहीं हो पाया। ईवीएम ने भी आरोप-प्रत्यारोप के लायक नहीं छोड़ा। उम्मीद थी युवराज के कमान संभालते ही कांग्रेस की ग्रह-दशा में सुधार होगा लेकिन परिस्थिति उलट गयी। पार्टी पंडितों ने भी युवराज में संभावनाएं देखी थी।
एक समय मुगल शासन में जब हुमायूँ की मृत्यु हो गई थी तो नाबालिग अकबर को बैरम खां के देख-रेख में तथा उनकी माता, धाई माता माहम अन्गा, जीजी अन्गा आदि के संरक्षण में शासन चलाने का अनुभव प्राप्त हुआ। वह शासनकाल इतिहास में “पेटी कोट” शासन के नाम से दर्ज है। कुछ इसी प्रकार की स्थिति विगत दो दशकों से कांग्रेस की बनी हुई थी।पूर्व प्रधानमंत्री व पिता राजीव गाँधी की मृत्यु के पश्चात पीएम मनमोहन बाबू के देख-रेख एवं माता सोनिया के संरक्षण में युवराज राहुल गांधी को पार्टी में बहुत कुछ देखने सुनने को मिला।एक तरह से विगत दो दशकों तक कांग्रेस में भी पेटीकोट नेतृत्व देखने को मिला। आखिरकार समय बदला और वक्त आ गया कांग्रेस के शहजादे राहुल गांधी के पूर्ण ताजपोशी का।
एक समय वो भी था जब भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने नरम दल और गरम दल को जन्म दिया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर सुभाषचंद्र बोस के मनोनीत होने पर गांधीजी का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया उन्होंने अध्यक्ष पद हेतु अपने उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैया के समर्थन में मुट्ठी भर बालू से ही कांग्रेस से बड़ी संस्था को खड़ा करने का प्रण कर लिया था। इतिहास में कांग्रेस पद की अध्यक्षता हेतु पार्टी में मन मुटाव देखने को मिलता है। खैर देश आजाद हुआ जिसमें कांग्रेस सहित विभिन्न क्रांतिकारी पार्टियों की अहम भूमिका रही किंतु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पेटेंट नेहरू-गांधी परिवार को मुहैया कर दिया गया। कालांतर में कांग्रेस ने कांग्रेस(आई) का चोला पहन लिया।
कई दिग्गज स्वंतत्रता सेनानियों यथा व्योमेश चन्द्र बनर्जी, दादा भाई नौरोजी, तिलक, एनी विसेंट, गांधी, नेहरू, सुभाष चन्द्र बोस, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि ने कभी जिस कांग्रेस के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया था आज हमारे युवराज को बगैर किसी मशक्कत के विरासत के रूप में निर्विरोध वह अध्यक्ष पद प्राप्त हो गया। भले ही कोई पार्टी इन्हें पप्पू समझे या कार्टून शो का नियमित दर्शक, किंतु अब वक्त आ गया है युवराज को पप्पू फ्रेम से बाहर निकलने का और विपक्षी भक्तों को सम्मोहन से मुक्त करने का।
हमारे युवराज सौभाग्यशाली है क्योंकि युवराज के खेमे में कई राजनीतिक धुरंधर व नवरत्न पहले से ही विभिन्न पदों को सुशोभित किए है तो दुसरी ओर इनके सिर पर मां के अलावे लालू चाचा, शरद काका, ममता दी, अखिलेश भाईजान आदि जैसे सहयोगी नेताओं का वरद हस्त भी है। गुजरात व हिमाचल तो गया हाथ से अब देखना ये है कि युवराज ”किसानों का कर्जमाफी, दो रूपये में चावल-गेहूँ, योगी-मोदी मुक्त भारत” आदि चुनावी तुरूप के इक्कों को आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनावों में कैसे भुना पाती है!
इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं कि वर्ष 2014 से ही कांग्रेस पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। किसी ने “अच्छे दिन” तो किसी ने दिल्ली में “मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी व मुफ्त इंटरनेट” के नाम पर अपनी दुकान खोल ली और कांग्रेस का शटर डाउन कर दिया। इसमें कोई दो राय नहीं कि पार्टी पर लगी नजर या टोटके को दूर करने के लिए युवराज बीच-बीच में फटे जेब वाले कुर्ते के साथ विदेश जाकर आत्म शांति व पार्टी हित हेतु भी कई साधना कर चुके हैं। हाल ही में स्वदेश में यज्ञ- हवन तथा जनेऊ धारण भी कर चुके है। बस किसी तरह पार्टी का उद्धार हो जाय और शनि महाराज की कृपा दृष्टि परिवार व पार्टी पर बनी रहे।
— विनोद कुमार विक्की