मुक्तक/दोहा

“दोहा-मुक्तक”

न्याय और अन्याय का, किसको रहा विचार।

साधू बाबा भग गए, शिक्षा गई बेकार।

नौ मन का कलंक लिए, नाच रहा है चोर-

दशा फिरी है आठवीं, पुलक उठी भिनसार॥-1

दौलत का इंसाफ हो, हजम न होती बात।

सब माया का खेल है, ठिठुर रही है रात।

हरिश्चंद्र ओझल हुए, सत्य ले गए साथ-

बिन सबूत दिन दिन कहाँ, किरण बिना कत प्रात॥-2

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ