हास्य व्यंग्य : गधे का अट्टहास
यूपी चुनाव परिणाम के बाद वाराणसी के घाट पर सभी दलों की अनोखी बैठक बुलाई गई।इस बैठक का प्रतिनिधित्व राजनीतिक पार्टियों के अध्यक्ष की बजाय चुनाव चिह्नो ने किया।कमल शीर्ष स्थान पर बैठा मुस्कुरा रहा रहा था।विपक्ष पार्टी नीचे खड़ी थी।
सभी पराजित पार्टियां अपने अपने पराजय की समीक्षा मे एक दुसरे पर आरोप लगा रहे थे।साइकिल की घंटी टुनटुनाते हुए बोली:-” हमें तो पापा-चाचा ने लुटा कमल मे कहां दम था।मेरी टायर पंक्चर हुई वहां जहां कीचड़ कम था। हमने प्रदेश के लिए क्या नही किया लैपटाप दिए छात्रवृत्ति दी पोशाक दिया पर हाय रे निर्मोही जनता तुने ही मुझे नंगा कर दिया……।
साइकिल की व्यथा पर राजद के लालटेन ने भुकभुकाते हुए कहा :-और लड़ो गार्जियन से ….. लग गई न बद्दुआ इहे समझाते है हम तेजस्वी और तेजप्रताप को कि घर फूटे गंवार लुटे।
हम त चुनाव प्रचार मे अपने लालटेन से तेल देकर इ साइकिल को मोटरसाइकल बनाने का प्रयास किया था पर साथ मे था पनौती ‘हथवा’ ब्रेक लगा दिया पांच साल के लिए….अब टुनटुनाते रहो विपक्ष मे पांच साल तक….। लालटेन के तर्क पर उद्वेलित होते हुए ‘हाथ’ तनकर खड़ा हो गया।”अनाप-शनाप मत बको लालटेन जाके भुकभुकाओ बिहार मे। हम तो हाथ दिखाकर साइकिल को रास्ता ही दिखा रहे थे भला हम क्यों ब्रेक लगाएंगे।हां ये बात अलग है कि चुनाव हो या युद्ध ‘हाथ’ के साथ की बजाय सिर पर पिता-चाचा का हाथ रहना ज्यादा जरूरीहै।
अचानक हाथी सुंड़ उठाकर चिंघाड़ते हुए बोला :- “ये सब कहने की बात है कोई चाचा,पिता, भतीजा या बुआ की बद्दुआ के कारण चुनाव नही हारे है हमलोग।
भला कही परिवार के सदस्यों की भी बद्दुआ लगती है आखिर अपने तो अपने होते है।इतिहास गवाह है कि यूपी की जनता पर विशेष परिवार या गठबंधन का ही शासन रहा है जिसमे पिता चाचा और बुआ का प्यार भाई-भौजाई का दुलार शामिल था।और ये सत्य है कि बेबी को भले ही बेस पसंद हो या ना हो किंतु यहां की जनता को दशकों से यह परिवार पसंद है। ये तो ईवीएम की सारी सेटिंग है।जिसवजह से हमलोग हारे है।इसमें विपक्ष की गहरी साजिश है।जब सभी अल्पसंख्यक, दलित और यादव भाई का सपोर्ट था हमलोगों को तो क्या मंगल ग्रह के प्राणी आकर वोटिंग किए कमल को”।
हाथी का समर्थन करते हुए झाड़ु भी हवा मे लहराने लगा :-हमारे पास पर्याप्त सबूत है। ये ईवीएम मोदी के प्रदेश गुजरात से आता है सारी सेटिंग उन्हीं की है …. हमे मिलकर चुनाव परिणाम के विरूद्ध धरना देनी चाहिए क्यों तीर भाई!
” नो कमेंट्स प्लीज । अभी हमारा सारा ध्यान बिहार मे पूर्ण शराबबंदी पर है” जदयू के तीर ने तटस्थ रहते हुए जवाबदिया।
इन सबों की गुफ्तगू सुनकर पास बैठा एक गधा झूम झूम के नाच रहा था।उसकी संदिग्ध हरकत पर सभी राजनीतिक पार्टियों का ध्यान केंद्रित हो गया।”अरे ई गधा कौन पार्टी से है जी। जो बेगानी शादी मे अब्दुल्ला दिवाना की तरह नाच रहा है”संशय भरे शब्दों मे लालटेन ने गधा से पूछा।
“अरे बंधुओ मुझे नही पहचाना मैं वही ‘गधा’ हूं जो अखिलेश बाबू की टिप्पणी के कारण यूपी चुनाव का ब्रांड एम्बेसडर बन गया था तुम सबने अपने हार की समीक्षा तो की किंतु मुझ पर फोकस ही नही किया कि तुम्हारी हार मे मेरा योगदान कितना है।अमां यार जब अखिलेश अक्ललेस हो सकते है तो वोटर मेहरबान तो गधा सुल्तान क्यों नही हो सकता…..।
गधे की व्यंग्यात्मक टिप्पणी पर सभी पार्टियां अपना सिर खुजाने लगी।
— विनोद कुमार विक्की