नूतन संकल्पों व नव निर्माणों का नववर्ष
सूर्य की तेजोमयी रश्मियों के साथ नववर्ष 2018 का घर -घर हर्षोल्लास के साथ स्वागत किया जा रहा है। नववर्ष नये उत्साह‚ उमंग‚ हर्ष‚ नव निर्माण व नूतन संकल्पों का पावन प्रसंग है। नववर्ष हमें बीते साल की गलतियोें व भूलों को सुधारकर जीने का एक नया अवसर प्रदान करता है। बेशक नववर्ष ख़ूब से कई बेहतर की तलाश करने का जरिया है। नववर्ष अपने आलिंगन में हरेक के लिए कई नयी सौगातें व सपने समेटकर लाता है। जिन्हें पूरा करने का हमें आज के दिन संकल्प लेना होता है। नववर्ष महज महंगी-महंगी होटलों में शराब के नाम पर बेशुमार पैसों का अपव्यय करने का दिन मात्र नही है अपितु ये तो पूरे होश व गंभीर मुद्रा में आने वाले कल और बीते कल का लेखा-जोखा करने का महत्वपूर्ण समय है। जहां इंसान को सोच-समझकर नये युग में अपने को बेहतर तरीके से दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करना है। या यूं कहे तो नववर्ष सपनों व आशाओं का आशियां है। जहां गरीब और अमीर दीन-हीन दरिद्र से लेकर अरबपति तक नये सपने और नयी आशाओं को अपने उर में पालते है। नववर्ष में आशा की जानी चाहिए कि देश से गरीबी का कीचड़ साफ हो‚ भ्रष्टाचार का भूत शिष्टाचारियों को सताना बंद कर दे‚ महंगाई डायन सरकार के काबू में आ जायें‚ आतंकवादियों का हृदय परिवर्तन हो जाये और वे आतंक का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण कर दें‚ हमारे देश के नेता वायदों की कबड्डी खेलना बंद करें और देश के उत्थान का संकल्प लें‚ युवापीढ़ी फैशन और व्यसन से हाय-तौबा करके आदर्श नागरिक बनकर देश के नव निर्माण में अपनी किंचित मात्र आहूति प्रदान करें‚ घरेलू हिंसा का दौर थम जाये और महिलाओं को सम्मान हक मुहैया हो‚ कोई फुटपाथ पर सोने को मजबूर ना हो और किसी का आत्मगौरव व आत्मविश्वास शर्मिंदा ना हो‚ सबके भुजबलों में इतनी शक्ति व सामर्थ जगे कि वे जीवन कि हर परिस्थितियों का पूरे जोश के साथ मुकाबला कर सकें‚ बुजुर्गो का हर घर में सम्मान हो और बहुओं को बेटी जैसा ससुराल में प्यार मिलें। हर समस्या का समाधान हो और हर कोई जीवन के प्रति बेहद ही सकारात्मक व आशावादी दृष्टिकोण से सोचना-देखना शुरु कर दें। क्योंकि कितने ही नववर्ष आयेंगे और कितने ही नववर्ष चले जायेंगे आखिर हम कब तक यूं हालातों को दोष देकर किस्मत के सहारे बैठे रहेंगे ! जिंदगी का मतलब दुखों का घर कहा गया है। यहां महज गरीब ही नही अमीर भी अपने-अपने दुखों से परेशान है। ऐसे में हालातों और जीवन की विषमता से घबराकर नही अपितु साहस और हिम्मत से लड़कर-भिड़कर हाथों की तकदीर और माथे के मुकद्दर को परिवर्तित करने का संकल्प लेना होंगा। कुछ छ्द्म राष्ट्रवादी और कट्टरपंथी यह भी कहते और सुने जा सकते है कि यह नववर्ष अंग्रेजों का दिन या नया साल है। इसे भारतीयों को मनाने से बचना चाहिए। पर यहां विरोधाभास यह भी है कि अंग्रेजों का तो हमारे पास बहुत कुछ है हम उनको त्यागने की कभी हिमाकत नही करते। यहां तक कि देश का आधे से अधिक संविधान भी अंग्रेजों से आयत किया हुआ है। और वैसे भी इंसान को जहां कई से भी अच्छी व सच्ची बातें सिखने को मिलें उसे अपने व्यावहारिक जीवन में अंगीकार करते जाना चाहिए। जहां एक दिन पूरी दुनिया नववर्ष को लेकर खुशियां का उत्सव मना रही हो तो वहां हमें भी पीछे नही रहना चाहिए। नववर्ष ऐसे समय में दस्तक देता है जहां शीतलहर व समुन्द्र के ठंडे होते जल के कारण कई जीव-जंतु बेमौत मर रहे होते है। लेकिन इसी विषम व दुख की घड़ी से निकलकर हर परिस्थितियों से लड़ने का साहस बांधने के लिए विश्व के हर कोने में नववर्ष मनाया जाता है। नववर्ष को लेकर साहित्य जगत के कवियों व लेखकों ने भी नये साल को नये उत्सव के विशेषणों से सुशोभित किया है। और इसी तरह हालावादी कवि हरिवंश राय बच्चन की यह पंक्तियां आज भी नववर्ष को सारगर्भित रुप से हर किसी के समक्ष प्रस्तुत करती प्रतीत होती है – नव वर्ष, हर्ष नव, जीवन उत्कर्ष नव। नव उमंग, नव तरंग, जीवन का नव प्रसंग। नवल चाह, नवल राह, जीवन का नव प्रवाह। गीत नवल, प्रीति नवल, जीवन की रीति नवल, जीवन की नीति नवल, जीवन की जीत नवल ! अभी तो मीलों चले हम और हमें मीलों तक चलना क्योंकि चलना ही नियति है।