कविता

मोजू का हथौड़ा

वो जब चाहे आकर दंगा कर ले कोई बात नहीं
बीच राह बहनों को नंगा कर ले कोई बात नहीं
और किसी हिन्दू की निर्मम हत्या कर दे माफी है
उनको भटका बालक कह के छोड़ो इतना काफी है
लेकिन कब तक चुप रह करके सहते मुझे बताओ सब
कब तक प्रत्युत्तर न देते इतना तो समझाओ सब
उन वहशी कातिल लोगों के अब बम्बू करना होगा
एक नहीं, दो-चार नहीं, सबको शम्भू बनना होगा

मौसमी बरसात में मेंढक मदारी बन गये,
भेड़िये थे रात तक, प्रातः पुजारी बन गये..
चार वर्ष क्या दिखा दी हिन्दुओं ने एकता,
गाजियों के कपूत भी जनेऊधारी बन गये!!

— मनोज डागा “मोजू”

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.