विदाई
क्या हुआ जो तू परायी हो गयी
क्या हुआ जो
तेरी इस घर से विदाई हो गयी
हम कल भी वही थे
हम आज भी वहीं है
कल भी इस घर की बेटी थी
हमारी बहना
आज भी इस घर की बेटी है
क्या हुआ जो
तेरी इस घर से जुदाई हो गयी
मत भूलना
वो रस्सी की टिप टिप
जो खेलते थे बीच सड़क पर
मत भूलना
वो सांपसीडी की टक टक
जो लड़ते थे बीच छत पर
याद है वो खट्टी मीठी छटपट
जो हो जाती थी कभी भी
चुप न रहती थी जो कभी
आज उन होठो की सिलाई हो गयी
क्यूँ
क्योंकि तू परायी हो गयी
न बहना
रहेगा हाथ सदा तेरे सर पर
भाई की दुआओं का
सदा खुशनुमा रहेगा
मौसम फ़िज़ाओं का
तो क्या हुआ जो तेरी विदाई हो गयी
तू आज भी इस घर की बेटी है
तो क्या हुआ
जो तेरी इस घर से विदाई हो गयी।
#महेश कुमार माटा, दिल्ली।